गवाही देने पर घर में घुसकर की थी हत्या, कोर्ट ने दो सगे भाइयों समेत तीन को सुनाई उम्रकैद की सजा
मुरादाबाद के बिलारी में करीब बीस साल पुराने रफैउउ्दीन हत्याकांड में अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाया है। अदालत ने दो सगे भाई समेत तीन मुलजिमों को दोषी करार करते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक पर तीस-तीस हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। सुनवाई के दौरान एक आरोपी की मृत्यु हो चुकी है।
बिलारी थानाक्षेत्र के तेवर खास गांव निवासी अतीक ने 2 जून 2003 को मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें उसने बताया था कि वह और उसका बड़ा भाई रफैउद्दीन घर की छत पर सो रहे थे। रात करीब ढाई बजे गांव के ही रहने वाले बाबू टपार पुत्र खैराती, रौनक, कासम पुत्रगण नजाकत, गुलजार पुत्र दिलवर घर की दीवार के सहारे सीढ़ी लगा कर छत पर आ गए थे। आते ही कहा कि रफैउद्दीन हमारे खिलाफ केस में गवाही दे रहा है। आरोपियों ने रफैउद्दीन की गोली मारकर हत्या कर दी थी। फायरिंग की आवाज सुनकर बड़े भाई मतीन, पड़ोस में रहने वाले हुसैन बक्श, मट्टू आ गए। जिन्हें देख कर यह सब भाग गए। मेरे भाई रफैउद्दीन की गोली लगने से मौके पर ही मोत हो गई थी।
इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम अरविंद कुमार सिंह द्वितीय की अदालत में की गई। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ब्रज राज सिंह ने बताया कि मुकदमे के आरोपी बाबू टापर की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो चुकी है। मुकदमे में 18 गवाहों ने अपने बयानों में घटना की पुष्टि की है। जिसमें पड़ोस के रहने वाले हुसैन बक्श और मटरू ने सारी घटना को उजागर किया। इन्हीं गवाहों के सामने हत्या करने के बाद आरोपी भागे थे।
अदालत ने पत्रावली पर मौजूद साक्ष्यों के आधार पर तीनों आरोपियों को हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा के साथ प्रत्येक पर तीस-तीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।