ग्रेटर नोएडादिल्ली/एनसीआरप्राधिकरणयमुना प्राधिकरण

अब अपनी गलती सुधारेगा यमुना प्राधिकरण, डेढ़ हजार किसानों का 22 साल का इंतजार खत्म

ग्रेटर नोएडा। यमुना प्राधिकरण के नियम भी अजब गजब हैं। प्राधिकरण के गठन से पहले अधिसूचित क्षेत्र के भू स्वामियों को ही मूल काश्तकार की श्रेणी से बाहर कर दिया।

प्राधिकरण के इस नियम का दर्द पिछले 22 साल से डेढ़ हजार काश्तकार भुगत रहे हैं। उन्हें आज तक प्राधिकरण ने सात प्रतिशत आबादी भूखंड का आवंटन नहीं किया है। जबकि उनके बाद जिन किसानों की जमीन अधिगृहीत या सहमति से क्रय की गई, उन्हें सात प्रतिशत आबादी भूखंड का लाभ मिल चुका है।

प्राधिकरण अब अपनी गलती को सुधरने जा रहा है। ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किमी लंबे यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे औद्योगिक शहर विकसित करने के लिए प्रदेश सरकार ने 24 अप्रैल 2001 को अधिसूचना जारी कर गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा के 1187 गांवों में इसमें अधिसूचित किया था। प्राधिकरण की स्थापना से पूर्व अधिसूचित क्षेत्र के भू स्वामी को मूल काश्तकार नहीं माना गया। इस कारण 1500 किसान सात प्रतिशत आबादी भूखंड से वंचित रह गए।

2001-2014 के किसानों को मूल काश्तकार मानकर दिया आबादी भूखंड

किसानों की सात प्रतिशत आबादी भूखंड की मांग को बढ़ता देखकर प्राधिकरण बोर्ड ने फैसला किया। इस फैसले के तहत बोर्ड ने 2001 से 2014 के बीच जिन किसानों के नाम जमीन के दस्तावेज में दर्ज थे, उन्हें मूल काश्तकार मानते हुए सात प्रतिशत आबादी भूखंड का लाभ देने की अनुमति दे दी। इसके बावजूद 1500 किसानों को इसका फायदा नहीं मिला।

2014 में बनी नियमावली

यमुना प्राधिकरण बोर्ड ने 2014 में नियम बनाकर स्पष्ट रूप से मूल काश्तकार को परिभाषित कर दिया। इसके बाद किसानों को सात प्रतिशत आबादी भूखंड आवंटन को लेकर फंसा पेंच पूरी तरह से दूर हो गया।

गलती सुधारेगा यमुना प्राधिकरण

यमुना प्राधिकरण अपनी गलती को अब सुधारने जा रहा है। प्राधिकरण की स्थापना के पूर्व में किसान को मूल काश्तकार मानते हुए उन्हें सात प्रतिशत आबादी भूखंड आवंटित किया जाएगा, प्राधिकरण सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह का कहना है कि इस संबंध में आगामी बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाया जाएगा। बोर्ड की स्वीकृति के बाद इन किसानों को आबादी भूखंड आवंटन की प्रक्रिया शुरू हाेगी।

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