कांग्रेस ने उत्तराखंड में 53 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। पार्टी का कहना है कि सभी 70 उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दे दिया गया है. बाकी की घोषणा भी जल्द की जाएगी। इन 53 नामों की सूची में प्रदेश अध्यक्ष और विपक्ष के नेता का नाम है, लेकिन हरीश रावत का नाम सूची में शामिल नहीं है. न ही काफी मशक्कत से पार्टी में लौटे हरक सिंह रावत और उनकी बहू को फिलहाल टिकट दिया गया है.
जबकि शुक्रवार को हरक सिंह रावत को कांग्रेस में शामिल करने को लेकर दिनभर मंथन जारी रहा। उसके बाद देर शाम प्रत्याशियों की सूची बनाने का काम शुरू हो गया। जिस पर रात भर मंथन चलता रहा। बड़ी बात यह है कि कांग्रेस ने किसी विधायक का टिकट नहीं काटा है. सभी मौजूदा विधायकों को पहली सूची में जगह दी गई है.
53 उम्मीदवारों में से कुछ बड़ी सीटों पर एक नजर डालते हैं कि वहां से किसे मैदान में उतारा गया है. खटीमा सीट से बीसी कापड़ी को टिकट मिला है.. जिनका मुकाबला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से होगा. कांग्रेस ने चकराता सीट से नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को मैदान में उतारा है। तो प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को श्रीनगर सीट से टिकट मिल गया है.
बीजेपी से दोबारा कांग्रेस में लौटे यशपाल आर्य को बाजपुर एससी सीट से टिकट दिया गया है. तो यशपाल आर्य को बेचने वाले संजीव आर्य को नैनीताल एससी से मैदान में उतारा गया है। स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश के बेटे सुमित हृदयेश को हल्द्वानी से चुनाव लड़ने का मौका मिला है। सतपाल ब्रह्मचारी को हरिद्वार से टिकट मिला है।
कोटद्वार से सुरेंद्र सिंह नेगी को टिकट मिला है. गंगोत्री से विजयपाल सिंह सजवान को मौका मिला है. बद्रीनाथ से राजेंद्र सिंह भंडारी चुनाव लड़ेंगे। केदारनाथ से मनोज रावत को टिकट दिया गया है. देव प्रयाग से मंत्री प्रसाद नैथानी को टिकट दिया गया है.
पहली सूची को देखते हुए कहा जा सकता है कि पंजाब के बाद कांग्रेस ने उत्तराखंड में यूपी का मशहूर फॉर्मूला नहीं अपनाया, जिसके तहत 40 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया गया. कांग्रेस ने करीब 5 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया. पंजाब में 86 कांग्रेस उम्मीदवारों में से केवल 9 महिलाएं। पंजाब में कांग्रेस ने करीब 10 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया.
सवाल यह है कि क्या यूपी में 40 फीसदी महिलाओं को मौका दिया गया. क्योंकि यूपी में पार्टी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है. जबकि पंजाब और उत्तराखंड में पार्टी प्रतिस्पर्धा में है.. और इसलिए जीतने वाले नेताओं को टिकट दिया जा रहा है?