यूक्रेन में रह रहे इस भारतीय डाक्टर ने पाल रखे हैं ब्लैक पैंथर और जगुआर, अपने पेट्स को छोड़कर इंडिया आने से किया इनकार
भारतीय छात्र जहां अपने पालतू कुत्तों और बिल्लियों को लेकर लौट रहे हैं, वहीं एक भारतीय डॉक्टर ने अपने पालतू तेंदुए और एक ब्लैक पैंथर के साथ युद्ध से जूझ रहे यूक्रेन में ही रहने का फैसला किया है। आंध्र प्रदेश के मूल निवासी डॉक्टर कुमार बंदी फिलहाल डोनबास में अपने घर में बने एक बंकर के अंदर रह रहे हैं।
सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे फोटो-वीडियो
डॉक्टर कुमार अपने पालतू जानवरों को दूसरों की दया पर नहीं छोड़ना चाहते हैं। वह बंकर से आए दिन सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करते रहते हैं। डॉ. कुमार बंदी सालों से यूक्रेन में हैं और भारतीय छात्रों को निकालने में मदद भी कर रहे हैं, लेकिन वे खुद भारत वापस नहीं आ रहे हैं, वे अपने तेंदुए और जगुआर के साथ यूक्रेन में ही रहेंगे।
15 साल से यूक्रेन में हैं कुमार
कुमार 15 साल पहले एमबीबीएस करने के लिए गए थे और वहीं रह गए। कुमार ने 4 तेलुगु फिल्मों में भी काम किया। हालांकि वे रिलीज नहीं हुईं। कुमार ने कुछ तमिल, तेलुगु और मलयालम टीवी शो में गेस्ट रोल भी प्ले किया है। कुमार यूक्रेन में भी कुछ फिल्मों में एक्टिंग कर चुके हैं।
यगवार, कुमार के पास 19 महीने से है। रेयर ब्रीड्स की संख्या बढ़ाने की मंशा के साथ ही उन्होंने दो महीने पहले ब्लैक पैंथर लिया था।
दुनिया में केवल 21 जगुआर बाकी हैं
कुमार का दावा है कि उनके पास जो जगुआर है वह दुनिया में सबसे दुर्लभ प्रजाति है और दुनिया में ऐसे केवल 21 हैं और उनमें से एक कुमार के पास है। यह प्रजाति बाघ और शेर जैसी बड़ी बिल्लियों के बीच खतरनाक नस्लों में से एक मानी जाती है। कुमार ने अपने पालतू नर जगुआर का नाम ‘यगवार’ रखा है।
कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि फिल्में देखकर ही उन्हें चीता पालने का शौक जागा था।
कुमार ने अपने ब्लॉग में लिखा कि उन्होंने कुछ भारतीयों की मदद भी की थी। उन्होंने बाकी फंसे हुए लोगों से भी कहा कि उनके हर राज्य में अधिकारियों से अच्छे संबंध हैं, इसलिए मुसीबत के समय उनकी मदद करेंगे। कुमार के अलावा उनके भाई राम बंदी ने भी वॉर जोन में फंसे लोगों को निकालने के लिए 4 बसें अरेंज की हैं, ताकि लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके।
जिऊंगा साथ, मरूंगा साथ
उनके परिवार के कई सदस्यों, दोस्तों और रिश्तेदारों ने भी कहा था कि वे इन बिग कैट्स को छोड़कर भारत लौट आएं और अपनी जान बचाएं। कुमार ने हाल ही में चंद्रबाबू नायडू से भी जूम कॉल पर बात की है। हालांकि उन्होंने वापस जाकर अपने पेट्स के साथ बंकर में ही रहने का फैसला किया।
कुमार का कहना है- ये मेरे बच्चों की तरह हैं और मैं इन्हें किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ सकता। मैंने इन्हें छोड़ा तो यकीनन ये मर जाएंगे।
कुमार बंदी ने कहा- मैं अपने पेट्स को मरते दम तक नहीं छोड़ूंगा, अगर मैं मरता हूं तो उनके साथ ही मरूंगा।
लाइसेंस मिलता तो बंगाल टाइगर पालते
कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि फिल्में देखकर ही उन्हें चीता पालने का शौक जागा था। वे पहले बंगाल टाइगर या एशियाटिक लॉयन रखना चाहते थे लेकिन आधिकारिक परमिशन नहीं मिली क्योंकि वे इन बिग कैट्स को प्रॉपर मील दे पाने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं थे। इसलिए उन्होंने दुर्लभ नस्लों में से एक लुप्त हो रही प्रजाति जगुआर को चुना। उन्हें अधिकारियों से जगुआर रखने का लाइसेंस भी मिला।