नॉएडा में पांच दिनों से कोरोना जांच और टीका लगवाने वालों की संख्या बढ़ी
नोएडा। कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मामले सामने आने के बाद कोरोना की जांच करवाने वालों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है। इसके साथ ही कोरोनारोधी टीका लगवाने वाले लोग भी पिछले पांच दिनों से बढ़े हैं। राहत की बात है कि अभी तक जिले में कोरोना के नए वेरिएंट का एक भी मरीज नहीं मिला है।
कोरोना वायरस के नए वेरिएंट से पहले जिले में प्रतिदिन करीब 2000 जांच होती थीं। हालांकि, नए वेरिएंट के मामले देश में सामने आने के बाद बीते पांच दिनों से कोरोना जांच कराने वालों की संख्या बढ़कर 5000 से अधिक हो गई है। इसमें 2500 से ज्यादा आरटीपीसीआर जांच शामिल हैं। पिछले पांच दिनों में टीका लगवाने वालों की संख्या भी बढ़ी है। 29 नवंबर से तीन दिसंबर तक 47,411 लोग टीका लगवाने केंद्रों पर आए। इससे पहले के पांच दिन (रविवार को छोड़कर) में 42,243 लोगों ने टीका लिया था। दोनों बार में टीकाकरण का एक-एक महाअभियान भी शामिल है। पांच दिनों में टीकाकरण में 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जबकि जांच दोगुनी से ज्यादा हुई हैं।
जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. सुनील दोहरे ने बताया कि अब देश में भी नए वेरिएंट के मरीज मिलने की पुष्टि हो चुकी है। ऐसे में विदेश से आने वाले सभी लोगों पर निगरानी रखी गई है। जिन लोगों में लक्षण मिले हैं उनकी कोविड जांच शुरू कर दी गई है। अभी तक जिले में नए वेरिएंट का एक भी मरीज नहीं है।
विदेश से आने वाले 13 लोगों में लक्षण मिलने पर जांच
विदेश से नोएडा लौटे 13 लोगों में कोरोना संक्रमण के लक्षण मिलने पर नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। पॉजिटिव होने की स्थिति में इनके नमूने जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए भी भेजे जाएंगे। अब तक विदेश से 599 लोग नोएडा आ चुके हैं। इनमें से 80 से ज्यादा लोगों से स्वास्थ्य विभाग का संपर्क नहीं हो पाया है। कई के मोबाइल नंबर पर संपर्क नहीं हो पा रहा है तो कई अपने घर पर नहीं मिले। विदेश से आने वाले सभी लोग होम क्वारंटाइन में रहेंगे।
निगेटिव रिपोर्ट पर ही वापस आ पाते हैं
विदेश से तभी किसी व्यक्ति को विमान में आने की अनुमति होती है, जब उसकी आरटीपीसीआर जांच निगेटिव होती है। अपने शहर में आने के बाद भी उन्हें होम क्वारंटाइन में रहना पड़ता है। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग उन पर निगरानी रखता है। उनसे प्रतिदिन किसी भी तरह की परेशानी के बारे में जानकारी ली जाती है। अगर कोरोना संक्रमण से संबंधित लक्षण मिलते हैं तो उनकी जांच की जाती है। रिपोर्ट के आधार पर इलाज या क्वारंटाइन अवधि के बारे में स्वास्थ्य विभाग निर्णय लेता है। लिहाजा अभी उन्हीं लोगों की जांच जिले में की गई है, जिनमें लक्षण मिले हैं।