उत्तर प्रदेशराज्य

300 से ज्यादा एनकाउंटर, यूपी के तेज तर्रार ‘सिंघम’ को योगी ने क्यों दी यूपी पुलिस की कमान?

उत्तर प्रदेश में डीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया है. वह निवर्तमान डीजीपी विजय कुमार का स्थान लेंगे. विजय कुमार भी कार्यवाहक डीजीपी ही थे. वह भी डीएस चौहान कार्यवाहक डीजीपी थे. इस प्रकार प्रशांत कुमार लगातार चौथे कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए हैं. बेहद कड़क और ईमानदार क्षवि वाले आईपीएस प्रशांत कुमार 1990 बैच के अफसर हैं. पिछले साल ही वह एडीजी से डीजी के पद पर प्रमोट हुए थे और फिलहाल डीजी कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे थे.

बिहार के सिवान जिले में हुसैनगंज प्रखंड के हथौड़ी गांव में पैदा हुए आईपीएस प्रशांत कुमार की पुलिसिंग प्रणाली में उनकी गहरी पकड़ है. आईपीएस में चयनित होने के बाद उन्हें तमिलनाडु कैडर मिला था. हालांकि वह 1994 में यूपी कैडर में आ गए थे. उन्हें बहादुरी और उत्कृष्ट कार्य के लिए तीन बार पुलिस मेडल मिला है. वहीं 2020 और 2021 में वीरता पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.बता दें कि निवर्तमान डीजीपी विजय कुमार के रिटायरमेंट को देखते हुए उत्तर प्रदेश में एक सप्ताह से नए डीजीपी नियुक्त करने की कवायद शुरू हो गई थी.

उम्मीद जताई जा रही थी कि शायद इस बार उत्तर प्रदेश को कोई पूर्णकालिक डीजीपी मिले. हालांकि तीन दिन पहले इन उम्मीदों पर पानी फिर गया था और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र को भेजे पैनल को देखने के बाद साफ हो गया था कि इस बार भी राज्य को कार्यवाहक डीजीपी से ही काम चलाना होगा. इस संबंध में बुधवार की सुबह पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक ट्वीट भी किया था. वहीं थोड़ी ही देर बाद और निर्वतमान डीजीपी विजय कुमार की विदाई से ठीक पहले उत्तर प्रदेश शासन ने 1990 बैच के आईपीएस प्रशांत कुमार की नियुक्त का आदेश जारी कर दिया.

अपराधियों का काल बन गए थे प्रशांत कुमार

वैसे तो आईपीएस प्रशांत कुमार जब गाजियाबाद के एसएसपी थे, उन दिनों वह अपराध और अपराधियों के काल बन गए थे. उन्होंने साल 2012 में गाजियाबाद में एनकाउंटर का एक नया रिकार्ड बनाया था. कहा जाता है कि उनके डर की वजह से क्राइम सिटी बन चुके गाजियाबाद के सभी अपराधियों ने या तो जिला छोड़ दिया या फिर सरेंडर कर जेल चले गए थे.गाजियाबाद में उन्हें अभी एक साल भी नहीं हुए थे कि लखीमपुर खीरी में कानून व्यवस्था में कुछ दिक्कत आई और उन्हें वहां का एसएसपी बना दिया गया.

पुलिस रिकार्ड के मुताबिक कुख्यात बदमाश विकास दुबे, अतीक अहमद, संजीव जीवा, कग्गा गैंग, मुकीम काला, सुशील मूंछू, अनिल दुजाना को निपटाने का काम प्रशांत कुमार ने किया था. सीएम योगी के पहले कार्यकाल में ये बदमाश सरकार के लिए सिरदर्द बन गए थे. आईपीएस प्रशांत कुमार के नाम से 300 से अधिक एनकाउंटर का रिकार्ड है. इसके अलावा कानून व्यवस्था संबंधी किसी भी तरह की दिक्कत से निपटने में भी उन्हें महारत हासिल है.

गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर से चर्चा

गवहीं बाद में एडीजी और एसटीएफ प्रभारी बनने के बाद आईपीएस प्रशांत कुमार साल 2021 में एक बार फिर गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर से चर्चा में आए. इससे पहले 2015 से 2017 के बीच चित्रकूट में डकैतों का समूल नाश और यूपी एसटीएफ का पुर्नगठन को लेकर भी वह सुर्खियों में रहे. रही सही कसर 2023 में प्रयागराज के अतीक प्रकरण ने पूरा कर दिया. इससे प्रशांत कुमार सीएम योगी की गुडबुक में आ गए थे. बताया जा रहा है कि उन्हें कार्यवाहक डीजीपी बनाकर योगी सरकार ने इनाम दिया है.

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