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पाकिस्तान और चीन के लिए ‘प्रलय’ को रोकना होगा मुश्किल, रक्षा मंत्रालय ने तैनाती को दी मंजूरी

चीनी सीमा पर तनातनी के बीच रक्षा मंत्रालय ने रविवार (25 दिसंबर) को एक बड़े फैसले में सशस्त्र बलों के लिए लगभग 120 प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दे दी है. इन बैलिस्टिक मिसाइलों को चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan) के साथ लगती सीमाओं पर तैनात किया जाएगा. वर्तमान में, प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलें 150 से 500 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती हैं और इंटरसेप्टर मिसाइलों के माध्यम से दुश्मन के लिए इनको रोकना बेहद मुश्किल है.

वरिष्ठ रक्षा सूत्रों ने एएनआई को बताया, “रक्षा मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय बैठक ने सशस्त्र बलों के लिए लगभग 120 मिसाइलों के अधिग्रहण और सीमाओं पर उनकी तैनाती को मंजूरी दे दी है.” इन बैलिस्टिक मिसाइलों के अधिग्रहण को देश के लिए एक बड़े विकास के रूप में देखा जा रहा है. चीन और पाकिस्तान दोनों के पास बैलिस्टिक मिसाइलें हैं जो सामरिक भूमिकाओं के लिए हैं.

मिसाइलों की रेंज को बढ़ाया जा सकता है

सूत्रों ने कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की ओर से विकसित मिसाइल को और बेहतर किया जा रहा है और अगर सेना चाहे तो इसकी रेंज को काफी बढ़ाया जा सकता है. 2015 के आसपास मिसाइल प्रणाली का विकास होना शुरू हुआ था और इस तरह की क्षमता के विकास को दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने थल सेनाध्यक्ष के रूप में बढ़ावा दिया था.

दो बार किया गया सफल परीक्षण

इंटरसेप्टर मिसाइलों को हराने में सक्षम होने के लिए उन्नत ‘प्रलय’ मिसाइल को खास तरह से विकसित किया गया है. यह बीच हवा में एक निश्चित सीमा तय करने के बाद अपना रास्ता बदलने की क्षमता रखती है. इस मिसाइल का पिछले साल दो बार सफल परीक्षण किया गया था.

पहले वायुसेना में किया जाएगा शामिल

इस मिसाइल को सबसे पहले भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा, जिसके बाद भारतीय सेना में शामिल होने की संभावना है. प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय के स्तर पर मंजूरी दे दी गई है और इसने विनिर्माण और सशस्त्र बलों में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त किया है. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की मिसाइल प्रणाली का इस्तेमाल लंबी दूरी की दुश्मन वायु रक्षा प्रणालियों को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है.

इन मिसाइलों को शामिल करने के प्रस्ताव को ऐसे समय में मंजूरी दी गई है जब रक्षा बल एक डेडिकेटड रॉकेट फोर्स बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं जो लंबी दूरी से दुश्मन के ठिकानों को मार गिरा सके. चीनी सेना के पास पहले से ही डेडिकेटड रॉकेट फोर्स है.

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