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करप्शन केस में 182 साल की सजा काट रहा बिल्डर, जानें- कोर्ट ने पैरोल बढ़ाने से क्यों किया इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार मामले में 182 साल की जेल की सजा काट रहे बिल्डर की पैरोल बढ़ाने की मांग से इनकार कर दिया. बिल्डर ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष पैरोल बढ़ाने के लिए अर्जी दाखिल की थी. भ्रष्टाचार के मामले में उसे 182 साल की सजा सुनाई गई है, बिल्डर सजा काट भी रहा है. फिलहाल वह पैरोल पर चल रहा है. उस पर आरोप है कि वह प्लॉट खरीदारों द्वारा जमा किए गए 90 लाख रुपए गबन कर गया.

याचिकाकर्ता का कहना है कि वह सात साल जेल में बिता चुका है. तीस हजारी कोर्ट की डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम कोर्ट ने कुल 182 साल की सजा सुनाई है. दोषी राकेश कुमार ने हाईकोर्ट से 6 महीने पैरोल की अवधि बढ़ाने की मांग की थी.

कोर्ट ने की ये टिप्पणी

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सजा में कमी और पैरोल केवल इस आधार पर नहीं बढ़ाई जा सकती कि याचिकाकर्ता प्लॉट खरीदारों से सेटेलमेंट के लिए पैसे का इंतजाम कर रहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि दोषी ने जो काम किया है, वह पैरोल बढ़ाने की मांग का हकदार नहीं है, पैरोल मांगना किसी दोषी का अधिकार नहीं है, ये प्रिविलेज है. विशेष परिस्थितियों में ही पैरोल दिया जा सकता है, कोर्ट उस पर विचार कर सकता है.

कोर्ट ने पैरोल बढ़ाने की मांग खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट ने पैरोल बढ़ाने की मांग खारिज करते हुए कहा कि उसके समक्ष दाखिल याचिका में दी गई सजा को चुनौती नहीं दी गई है, केवल पैरोल बढ़ाने की मांग की गई है और पैरोल दिल्ली प्रिजन रूल 2018 के तहत गवर्न होता है. दिल्ली हाईकोर्ट ने ही सितम्बर 2019 में दोषी को पैरोल दिया था. जो कि हाईकोर्ट द्वारा समय-समय पर बढ़ाया भी गया. वह भी याचिकाकर्ता के इस आश्वासन के बाद कि वह प्लॉट खरीदारों से सेटलमेंट की कोशिश कर रहा है.

याचिकाकर्ता के वकील ने जताई ये उम्मीद

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पैरोल की अवधि आखिरी बार 10 जनवरी को तब तक के लिए बढ़ाई थी, जब तक उसकी याचिका उसके समक्ष लंबित है और जब तक उसकी सुनवाई नहीं हो जाती. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा अधिगृहीत की गई जमीन का मुआवजा मिलने वाला है और वह मुआवजे से प्लॉट खरीदारों से सेटलमेंट कर लेगा.

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