पाकिस्तान के 8वें कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने अनवर उल हक, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने दिलाई शपथ
अनवर उल हक काकर ने सोमवार को पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। वह नकदी संकट से जूझ रहे देश को चलाने और अगले आम चुनाव कराने के लिए तटस्थ राजनीतिक व्यवस्था का नेतृत्व करेंगे। पहली बार सीनेटर बने काकर बलूचिस्तान से हैं और पश्तून मूल के हैं। वह बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) के सदस्य हैं।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इस्लामाबाद में एवान-ए-सदर (राष्ट्रपति भवन) में आयोजित एक समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई। वह पाकिस्तान के 8वें अंतरिम प्रधानमंत्री बने। शपथ लेने से पहले काकर (52 वर्षीय) ने संसद के उच्च सदन से इस्तीफा दे दिया।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और भंग नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता राजा रियाज अहमद के बीच शनिवार को विचार-विमर्श के अंतिम दिन काकर के नाम पर सहमति बनी। सीनेट के अध्यक्ष सादिक संजरानी ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में काकर के शपथ ग्रहण से पहले सोमवार को सीनेट से उनका इस्तीफा स्वीकार कर किया। इससे एक दिन पहले काकर ने सीनेट और बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) से इस्तीफा देने की घोषणा की थी।
‘जिओ न्यूज’ के मुताबिक, काकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि वह एक निष्पक्ष अंतरिम प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। चूंकि पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) के सहयोग से स्वतंत्र और निष्पक्ष आम चुनाव कराना उनकी जिम्मेदारी थी, इसलिए उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया था।
सीनेट सचिवालय द्वारा सोमवार को जारी एक अधिसूचना में काकर के इस्तीफे की अधिसूचना जारी की गई। अधिसूचना में कहा गया है, ‘पाकिस्तान के सीनेट सदस्य अनवर उल हक काकर ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनने पर तटस्थता के अपने सैद्धांतिक रुख के तहत सीनेट के अध्यक्ष के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखकर अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया है।’
बयान में कहा गया है, ‘सीनेट अध्यक्ष ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और परिणामस्वरूप 14 अगस्त से पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 64 के खंड (1) के संदर्भ में उनकी सीट खाली हो गई है।’ रविवार को जारी एक बयान में शरीफ ने भरोसा जताया कि काकर निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि काकर के नाम पर सभी दलों द्वारा जताया गया विश्वास साबित करता है कि आगामी कार्यवाहक प्रधानमंत्री एक शिक्षित व्यक्ति और देशभक्त हैं। शरीफ के मुताबिक, काकर का फैसला संवैधानिक प्रक्रिया के तहत किया गया क्योंकि वह अंतरिम व्यवस्था का नेतृत्व करने के लिए ‘सबसे उपयुक्त व्यक्ति’ हैं।