सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति संबंधी कोलेजियम नोट पर दो जजों को आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों ने नियुक्ति से संबंधित कॉलेजियम प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। दोनों न्यायधीश शीर्ष अदालत के पांच न्यायधीशों के कॉलेजियम के सदस्य है। बुधवार को मिली जानकारी के मुताबिक, इन्होंने चीफ जस्टिस यूयू ललित की ओर से भेजे गए सुप्रीम कोर्ट के वकील सहित चार नए न्यायाधीशों की सिफारिश करने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। दरअसल, सीजेआई ने कॉलेजियम के अन्य सदस्य न्यायधीशों को पत्र लिखकर शीर्ष अदालत में चार नए जजों की नियुक्ति के लिए उनकी सहमति मांगी थी। वहीं, यह भी सामने आया है कि कॉलेजियम के दो सदस्य न्यायधीशों द्वारा आपत्ति जताने के बाद सीजेआई ने एक और पत्र लिखकर उनसे अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था।
दरअसल, सीजेआई न्यायमूर्ति यूयू ललित के नेतृत्व वाले पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने हाल में बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में शेष चार रिक्तियों के लिए कुछ अन्य न्यायधीशों के नामों पर पर भी विचार-विमर्श हुआ था। इसके बाद कथित तौर पर सीजेआई ने कॉलेजियम के अन्य सदस्यों को एक प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव में उच्च न्यायालय के तीन मुख्य न्यायाधीशों और एक वरिष्ठ वकील को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति देने के कॉलेजियम के सदस्य न्यायाधीशों की लिखित मंजूरी मांगी गई थी। सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के दो सदस्यों ने सीजेआई द्वारा प्रत्यक्ष चर्चा करने की परंपरा को तोड़कर प्रस्ताव भेजने और लिखित सहमति देने पर आपत्ति जताई है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि वरिष्ठ अधिवक्ता के वी विश्वनाथ, न्यायमूर्ति रविशंकर झा, संजय करोल और पीवी संजय कुमार, क्रमश: पंजाब और हरियाणा, पटना और मणिपुर उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के नामों को सहमति के लिए भेजा गया है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायधीशों के कॉलेजियम में सीजेआई यूयू ललित के अलावा चार वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एस के कौल, एस ए नज़ीर और के एम जोसेफ शामिल हैं। ये पांच सदस्यीय कॉलेजियम ही सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों का चयन करता है और केंद्र से सिफारिश करता है।