राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर लॉयड में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन
लॉयड इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी (फार्मा० ) में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (ए. आई.सी.टी.ई.) द्वारा प्रायोजित और दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (DPSRU), अर्ब्रो फार्मास्युटिकल्स प्रा. लिमिटेड , सोसायटी ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (एस.पी. ई.आर.) की भागीदारी से दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 – उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधार एवं वैश्विक प्रभाव ” सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। सम्मलेन में प्रो.डी.एस. चौहान, पूर्व कुलपति, ए. के. टी. यू. लखनऊ , प्रो. रमेश के गोयल कुलपति, दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च, नई दिल्ली और मनोहर थिरानी, अध्यक्ष; संयोजक: डॉ. वंदना अरोड़ा सेठी, समूह निदेशक; सह-संयोजक: प्रो. कंचन कोहली, निदेशक, अनुसंधान एवं प्रकाशन; समन्वयक: डॉ चित्रा गुप्ता की सहभागिता से आगे बढाया गया । उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में स्व-निर्देशित शिक्षा प्रदान करना भी महत्वपूर्ण तथ्य है ताकि छात्र कौशलयुक्त स्वतंत्र और वैज्ञानिक दृष्टिकोण कोण वाले आत्मविश्वासी नागरिक बन सकें और नागरिक कर्तव्यों के माध्यम से समाज को नेतृत्व दे सकें।
मुख्य वक्तव्य डॉ.जी.एन सिंह सलाहकार मुख्यमंत्री-उत्तर प्रदेश और भारत के पूर्व औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) कहा कि , “शिक्षा नीति का स्वास्थ्य क्षेत्र पर भी बहुत प्रभाव पड़ेगा क्योंकि यह राष्ट्र का स्तंभ है। 2040 तक देश को शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में विकसित करना हैं | डॉ.एस. ईश्वर रेड्डी, संयुक्त औषधि नियंत्रक, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सी.डी.एस.सी.ओ.) ने मुख्य भाषण में नई शिक्षा नीति में सबको रोजगार के अवसरों की समानता और सब प्रकार की व्यवहारिक शिक्षा के विषय में अवगत कराते हुआ कहा कि शिक्षा सहज सरल और सबकी पहुंच में होनी चाहिए जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ सब प्रकार के विकास में सहायक हो जिसके बाद डॉ० वंदना अरोड़ा सेठी, समूह निदेशक, लॉयड ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस ने कहा कि “सम्मेलन का उद्देश्य एन.ई.पी. 2020 के लागू होने के बाद व्यवहारिक तौर पर आने वाली समस्याओ और चुनौतियों को प्रकाश में लाना है। जिस पर सारगर्भित पैनल चर्चा के लिए अनेक गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिनिधियों का समस्याओ और चुनौतियों पर गम्भीर चिंतन और सुधारात्मक सुझावों को सभी शिक्षाविद, छात्र, प्रतिभागी ध्यानपूर्वक सुन रहे थे |
बाद में,अंग्रेजी शिक्षाविद् हेलेन मॉर्गन ने यूके की शिक्षा प्रणाली पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि उन्होंने व्यावहारिक कार्य का पुनर्विकास किया जाना, सीखने में लचीलापन पेश करता है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छात्रों को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।
“ट्रांसलेटिंग द विज़न एन.ई.पी.-2020: वे फॉरवर्ड फॉर इफेक्टिव इम्प्लिमेंटेशन” पर पहली पैनल चर्चा से शुरू करते हुए, कर्नल बी. वेंकट, निदेशक, ए.आई.सी.टी.ई, एन.ई.पी के मूल सिद्धांतों में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के बारे में बताया और विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित छात्रों, ड्रॉप आउट और सीमांत छात्रों को शामिल करने के बारे में भी विस्तार से बताया।
प्रो. हरविंदर पोपली, निदेशक, एस.ओ.पी.एस., दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (डीपीएसआरयू) ने सभी का ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि, “लर्नर को व्यावसायिक और पेशेवर बनने की प्रक्रिया मे सीखने बीच आने वाली चुनौतियों का उल्लेख किया जो एक शिक्षक के सामने आती हैं और शिक्षार्थी को प्रभावित करते हुए गैर-गुणवत्ता वाले शोध लाती हैं। इसलिए, जमीनी स्तर पर नीति निर्दिष्ट की जानी चाहिए। प्रो. अरुण नंदा, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक, ने एन.ई.पी.के लिए अपने तथ्यात्मक विचार रखते हुए कहा कि 85% सॉफ्ट स्किल और 15% तकनीकी कौशल युक्त युवा ही रोजगारपरक मानव संसाधन का हिस्सा होंगे। उन्होंने कहा, “सॉफ्ट स्किल एक नया कौशल है जिसे छात्रों को पढ़ाया जाना चाहिए। एन.ई.पी.इसी उद्देश्य पर केंद्रित है और शिक्षकों को क्षितिज का विस्तार करने और मूल्य शिक्षा और अन्य कौशल में निवेश करने की सलाह दी है। डॉ. असीम भटनागर, अतिरिक्त निदेशक (सेवानिवृत्त) परमाणु चिकित्सा और संबद्ध विज्ञान संस्थान, डी.आर.डी.ओ, प्रो.निलय गोयल, यॉर्क विश्वविद्यालय और सेनेका कॉलेज, टोरंटो, कनाडा और डॉ. वी. कलाइसेलवन, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी भारतीय फार्माकोपिया से आयोग (आई.पी.सी.) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के सम्मानित पैनलिस्ट सदस्य थे जिन्होंने इस चर्चा मे अपने उत्साहजनक विचारों और अनुमानों को साझा किया।
प्रो. निलय गोयल ने “अनुसंधान और नवाचार का व्यावसायीकरण” विषय के संबंध में नई शिक्षा नीति के तथ्यों को उजागर किया।
दूसरे पूर्ण सत्र के लिए, कोटक महिंद्रा बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, सी.ए.गौरव अरोड़ा ने उद्योगपरक शिक्षा को मशीनरी और मनुष्यों के सह-अस्तित्व के साथ मानव मूल्यों को ध्यान में रखते हुए भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए खुद को निखारना होगा। व्यक्ति डिग्री प्राप्त कर रहा है लेकिन कौशल नहीं है। दोपहर के सत्रों को लॉयड के छात्रों ने मंत्रमुग्ध कर देने वाले सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
लॉयड्स इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन की शुरुआत दूसरे पैनल चर्चा के दौरान “उच्च शिक्षा को अगली कक्षा में ले जाना: शिक्षा को वैश्विक रूप से प्रभावशाली बनाना” विषय पर आकर्षक चर्चाओं की एक श्रृंखला के साथ शुरू हुई। पैनलिस्ट प्रो. (डॉ.) एस. शिवकुमार, भारतीय विधि संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसर और भारत के विधि आयोग के पूर्व सदस्य ने कहा,“एन.ई.पी.-2020 के अनुसार कानून और मेडिकल छात्रों को बाहर रखा जाने के कारणों को स्पष्ट करते हुए बताया कि समाज के लिए दो महत्वपूर्ण घटक हैं शिक्षा और करुणा। इसलिए दोनों प्रकार की शिक्षा में मानवीय संवेदना की शिक्षा बहुत आवश्यक हो जाती है जिसमें दोनों तत्वों की प्रसंगिकता बढ़ जाती है । डॉ. अनंत नारायण भट्ट, वैज्ञानिक-एफ, INMAS, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, ने इस तथ्य पर जोर दिया कि “अब तक जो भी शिक्षा दी जाती थी, वह कभी भी उद्योग तक नहीं पहुंचती थी लेकिन NEP ने इसकी शुरुआत कर दी है। इसके अलावा, संकायों को छात्रों को अनुसंधान करने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और इसे करने के लिए एक मंच प्रदान करना चाहिए।” जामिया हमदर्द (हमदर्द विश्वविद्यालय) के डीन प्रो. विधु ऐरी ने कहा, “फार्मास्युटिकल उद्योग के संबंध में एन.ई.पी.द्वारा अपनाया गया बहु-विषयक दृष्टिकोण”। स्कूल ऑफ कॉम्पिटिशन लॉ एंड मार्केट रेगुलेशन की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आभा यादव ने लड़कियों के प्रतिधारण के लिए जिलों के संबंध में सुरक्षित बुनियादी ढांचे के निर्माण पर पर्याप्त जोर दिया। कमल छाबड़ा, सीईओ और लीड इंस्ट्रक्टर, केसी ग्लोबएड ने कहा कि उद्यमशीलता कौशल को पहचानते हुए व्यावसायिक शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए और उद्योग को क्या चाहिए और विश्वविद्यालय क्या उत्पादन करता है, के बीच की खाई को पाटना चाहिए। इससे शिक्षण संस्थानों के बीच बेहतर सहयोग सुनिश्चित होगा। एबॉट फार्मास्युटिकल लिमिटेड के मेडिकल अफेयर्स ए.पी.एसी.के निदेशक श्री मनीष नारंग, “शिक्षा के सभी पहलुओं में ए.आई.को शामिल करना महत्वपूर्ण है और राजीव शर्मा, वैज्ञानिक-एफ, फ्रंटियर एंड फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी डिवीजन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला। अनुका कुमार, लीडर – एकेडमिक पार्टनरशिप, आईबीएम इंडिया ने दूसरे पैनल डिस्कशन को सुचारू रूप से संचालित किया।
इस सम्मेलन के दूसरे दिन अनेक प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों के विभिन्न कुलपति जैसे प्रो. रमेश के. गोयल, दिल्ली औषधि विज्ञान एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय, प्रो. मोहम्मद अफसर आलम, कुलपति जामिया हमदर्द (हमदर्द विश्वविद्यालय), प्रो. अभय कुमार, कुलपति, प्रताप विश्वविद्यालय, जयपुर , प्रो. तबरेज अहमद, जीडी गोयनका विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के कुलपति, प्रो.प्रवीण चंद्र, डीन और गुरु गोबिंद सिंह आई.पी.विश्वविद्यालय, प्रो. कृपा शंकर, पूर्व कुलपति और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर विस्तृत चर्चा मे संमिलित थे। रोजगार के अवसरों में सुधार कैसे किया जाए ? साथ ही बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाना और शैक्षणिक संस्थानों में क्रेडिट बैंकों की पहुंच प्रदान करना।
प्रो. गौरीशा जोशी द्वारा “एनईपी के उद्देश्यों को साकार करने के लिए अकादमिक नेताओं-प्रेरित, ऊर्जावान, समृद्ध और प्रोत्साहित संकाय” विषय पर शैक्षिक संस्थानों और शिक्षार्थियों के साथ बातचीत करने वाले शिक्षार्थियों के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने सस्ती और सुलभ शिक्षा के संघर्ष की ओर भी इशारा किया जो प्रदान किया जाना चाहिए। निजी या सार्वजनिक होते हुए भी हर संस्थान को स्वायत्त दर्जा प्रदान करना चाहता है। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षाविदों को भी एनईपी के लिए काम करना चाहिए और कार्यान्वयन के लिए रणनीतियां बनानी चाहिए।
स्वदेशी शिक्षा प्रणाली के अनुसंधान और पुनर्गठन को बढ़ावा देने के लिए MERU (मॉडल बहु-विषयक और अनुसंधान विश्वविद्यालयों) की स्थापना के साथ-साथ समग्र और बहु-विषयक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया।
इस दो दिवसीय एआईसीटीई प्रायोजित लॉयड के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को डॉ. प्रो. अभय कुमार कुलपति,प्रताप विश्वविद्यालय, जयपुर ने अनुकरणीय सम्मेलन आयोजित करने के लिए प्रबंधन को बधाई दी। उन्होंने प्रबंधन के लिए कॉलेजों और संस्थानों में अच्छे संकायों की प्रासंगिकता और बच्चों को अपने स्वयं के जैविक के रूप में मानने का भी सुझाव दिया।
इस मौके पर ओरल और पोस्टर प्रेजेंटेशन के विजेताओं को सम्मानित किया गया। जीएलयू से समृद्धि ठाकुर लॉयड इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी (फार्मा) से विनीत कुमार ओझा ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया, दूसरा पुरस्कार और निधि श्रीवास्तव ने अनुसंधान एवं विकास विभाग से प्राप्त किया। पोस्टर प्रस्तुति के लिए तीसरा पुरस्कार जीता। ओरल प्रेजेंटेशन के लिए जामिया हमदर्द की आयशा वहीद को प्रथम पुरस्कार मिला, इत्तिश्री को जी.वी.एम. कॉलेज ऑफ फार्मेसी ने दूसरा और गुरुग्राम यूनिवर्सिटी के गुलशन ने तीसरा स्थान हासिल किया।