गौतम बुद्ध नगर में देश की आजादी का राष्ट्रीय पर्व बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया
आज राष्ट्रीय पर्व 76 वे स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर शिव मंदिर अल्फा प्रथम ग्रेटर नोएडा जनपद गौतम बुद्ध नगर में देश की आजादी का राष्ट्रीय पर्व बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया स्कूल के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता योग गुरु श्री भास्कर जी द्वारा की गई राष्ट्रीय पर्व के शुभ अवसर पर मंच पर कारगिल युद्ध में शहीद स्वर्गीय श्री नरेंद्र भाटी जी की धर्मपत्नी एवं आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष श्री शेर सिंह भाटी जी एवं महामंत्री श्री संजय नागर जी श्री मनोज कुमार कवि जी श्री गौतम जी आदि प्रमुख रूप से सैकड़ों की संख्या में इस राष्ट्रीय पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे तथा कार्यक्रम का संचालन भारतीय जनता पार्टी पिछड़ी जाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष एवं पूर्व आरडब्ल्यूए अध्यक्ष श्री जितेंद्र भाटी जी के द्वारा किया गया तथा मेरे द्वारा भी राष्ट्रीय धरोहर हिंदुस्तान की धड़कन हमारी एकता के प्रतीक हमारी आन बान शान परम आदरणीय राष्ट्रीय ध्वज को फेराकर कर शहीदों को नमन कर सभा को संबोधित कर आजादी के बारे में उल्लेख करने का तथा आजादी कितने संघर्ष से प्राप्त हुई इस पर प्रकाश डालते हुए सभा को संबोधित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ सभा को संबोधित करते हुए अनेकों उदाहरण के माध्यम से लोगों को उत्साहित एवं साहस वर्धन किया जैसे जलियांवाला बाग का विवरण करते हुए हिंदुस्तान के कोने-कोने में 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी का त्यौहार बड़े धूमधाम एवं हर्षोल्लाह के साथ मनाया जा रहा था उसी समय अपने हिंदुस्तानियों के मन में तब गुलामी से ऊब चुके थे तो उनके मन में एक जिज्ञासा पैदा हुई हमें आजादी कैसे प्राप्त हो हो इसके संबंध में जलियांवाला बाग अमृतसर में निहत्ते हिंदुस्तानी एक बैठक का आयोजन कर रहे थे तभी मिस्टर जनरल डायर ने जलियांवाला बाग में प्रवेश कर अंधाधुंध गोलियां की बौछार कर मौके पर ही हजारों हिंदुस्तानियों को लहूलुहान कर कर हमेशा हमेशा के लिए मौत के घाट उतार दिया इतना ही नहीं दोस्तों बल्कि जब बेचारे हिंदुस्तानी अपनी जान बचाने के चक्कर में वहां पर एक कुआं है उसमें कूद पड़े और अपनी जान की रक्षा करते-करते भी 124 लोग हमसे हमेशा हमेशा के लिए जुदा हो गए आज भी जलियांवाला बाग में दीवारों पर हजारों गोलियों के निशान देखकर प्रत्येक हिंदुस्तानी के रोंगटे खड़े हो जाते है है धन्य है ऐसे वीर सपूतों को जिसने हंसते-हंसते आजादी के लिए फांसी के फंदे पर चढ़ गए और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने भारत को आजाद करने के लिए विभिन्न आंदोलन किए थे भारत छोड़ो आंदोलन के तहत गांधी जी ने कहा था कि हे गोरे शासकों करो या मरो पर भारत छोड़ो और भारतीय वीर सपूत श्री सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा आजादी वास्तव में बेहद संघर्ष के बाद प्राप्त हुई थी अगर इसका सही अर्थ समझना है है तो भारत की सीमाओं पर प्रहरी के रूप में हमारी रक्षा करने वाले जवान जो कभी अपना ना घर देखते हैं ना अपना परिवार देखते हैं ना आंधी से डरते हैं ना बरसात से डरते हैं और ना बर्फ से डरते और ना दुश्मन से डरते हैं बल्कि हमेशा रात दिन सीमा पर मुस्तैदी से तैनात यही गीत गाते हैं कि दिल दिया है जान भी देंगे ए वतन तेरे लिए और जिए हैं और मरेंगे ए वतन तेरे लिए जय हिंद जय भारत भारत माता की जय वंदे मातरम बंदे मातरम