भू माफिआयों ने अवैध तरीके से 40 बीघा जमीन बेची थी जिसपर घर की जगह बना एक्सप्रेस-वे
गाजियाबाद। वरिष्ठ संवाददाता। दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे मुआवजा घोटाले में करीब 40 बीघा जमीन की धोखाधड़ी की गई। भूमि अधिग्रहण की सूचना जारी होने के बाद रसूलपुर सिकरोड़ा में अवैध प्लॉटिंग करके 100 से ज्यादा लोगों को करोड़ों रुपये के प्लॉट बेच दिए गए। इतना ही नहीं जमीन बेचने के बाद इन लोगों ने जमीन का मुआवजा भी उठा लिया। मामला जब सामने आया जब सरकार ने 20 से 25 खरीदारों की जमीन पर एक्सप्रेसवे बना दिया। प्लॉट खरीदारों को न तो जमीन ही मिली और न ही सरकार से इस जमीन का कोई मुआवजा।
मामले में डासना के दो बैनामों की जांच के बाद पता चला कि यहां दो खसरों की बंजर जमीन बेची गई। 1974 में डासना के खसरा नंबर 3067/2, 390 व 391, 3053, 3054, 3088 की सरकारी करीब 40 बीघा जमीन का बैनामा कल्लूगढ़ी निवासी अलीजान ने अशोक गृह निर्माण समिति के सचिव दिल्ली निवासी धर्मपाल को कर दिया। यह बैनाम पूरी तरह से फर्जी था। उसके बाद अशोक सिमित ने यह जमीन अपने रिश्चेदारों व अन्य जानकारों के नाम करा दी। जमीन को थ्री-डी होने के बाद लोगों को बताया गया कि इस जमीन के आसपास कई योजनाएं आने वाली हैं। जमीन उनके नाम है। वह जमीन पर भूमिधर के रूप में काबिज है। जमीन पर कोई बैंक लोन भी नहीं है। खतरा खतौनी में भी उनका ही नाम जमीन पर अंकित है। इसी लालच में लोगों ने यहां प्लाट खरीद लिए। इतना ही नहीं उन्हे जमीन कहीं और दिखाई गई और बैनामा किसी और जमीन की कराया गया। जब दाखिल खारिज की बात आई तो सभी से कह दिया गया कि यह जमीन समिति से उनके नाम आई है। लिहाजा इसके दाखिल खारिज में थोड़ा समय लगेगा। करीब 100 से ज्यादा लोगों को जहां 50 से लेकर 500 मीटर के प्लाट दिए गए।
20 से 25 लोगों के प्लॉट पर बन गई सड़क
जानकारों के मुताबिक रसूलपुर सिरोड़ा में वसीम व एक एन्य व्यक्ति ने 100 से ज्यादा प्लाट करीब दस हजार रुपये प्रतिवर्ग गज के रूप में बेचे। सभी को बताया गया कि जल्द ही इस क्षेत्र में कई सरकारी योजना आने वाली है। जिस खसरा नंबर की जमीन से प्लाट दिए गए सरकारी दस्तावेजों में जमीन पर वसीम का नाम दर्ज थी। रजिस्ट्री कराने के बाद दाखिल खारिज नहीं कराया गया। जिसके लाभ जालसाजों ने इसका मुआवजा भी तैयार करा लिया। करीब 20 से 25 लोगों के प्लाट पर अब एक्सप्रेसवे बना है और गाड़ी दौड़ रही हैं।
बंजर भूमि को दर्ज कराया था अपने नाम
डीएमई मुआवजा घोटाले की जांच में सामने आया है कि इस पूरे खेल में अशोक सहकारी समिति जुड़ी है। समिति के सदस्यों ने सरकारी बंजर भूमि को समिति ने नाम खरीदा। समिति का लाइसेंस रदद होने के बाद भी जमीन की खरीद व बेचने के काम जारी रहा। समिति ने इस जमीन को अपने जान पहचान व रिश्तेदारों के नाम करा दिया। भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना होने के बाद बड़ी संख्या में लोगों को जमीन बेचकर पैस हड़प लिया। उसके बाद 2016 में इस जमीन पर मुआवजा भी ले लिया।
16 एफआईआर दर्ज हो चुकी है मामले में
दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे घाटाले में अभी तक 16 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इनमें अभी तक 12 लोगों को नामजद किया जा चुका है। मामले की जांच एसआईटी कर रही है। दो आरोपी गोल्डी गुप्ता व सुधारकर मिश्र की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। दोनों की आरोपियों को जमानत भी मिल चुकी है। इतना ही नहीं जालसाजों ने डासना क्षेत्र के पुराने जमीनी रिकार्ड तक गायब करा दिए।
मामले में लगातार जांच की जा रही है। पुराने रिकार्ड गायब होने के कारण परेशानी हो रही है। बैनामों की अनुसार मामला आगे बढ़ रहा है। प्रशासन ने एक्सप्रेसवे में ली गई भूमि का मुआवजा जारी किया है। अब यह पता लगाया जा रहा है कि जिस जमीन का मुआवजा तैयार किया गया है उस जमीन का बैनामा किसके नाम कराया गया था क्योकि जमीन कागजों में अभी बेचने वालों के नाम ही दर्ज है।
-ऋतु सुहास, एडीएम प्रशासन