तालिबान ने अफगानिस्तान में UN सहायता मिशन की महिलाओं को हिजाब पहनने का दिया आदेश
अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान सरकार ने महिलाओं व लड़कियों के लिए हिजाब (बुर्का) को लेकर नया फरमान जारी किया है। इसे महिलाओं की आजादी के खिलाफ बताते हुए जी-7 देशों ने कड़ा विरोध किया है।
कनाडा में गुरुवार को जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों ने साझा बयान जारी कर कहा कि तालिबान का हालिया आदेश महिलाओं की आजादी, समान अधिकारों व समाज में उनकी भागीदारी को सीमित करने वाला कदम है। बयान में कहा गया है कि तालिबान द्वारा अफगानी महिलाओं के लिए हिजाब पाबंदियां अनिवार्य करने के साथ ही इसके उल्लंघन पर उनके परिजनों को सजा देने का आदेश निंदनीय है।
बयान पर कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका व यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधि ने दस्तखत किए हैं। इन देशों के विदेश मंत्रियों के साझा बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा महिलाओं व लड़कियों द्वारा लगातार बढ़ाई जा रही पाबंदियों का हम कड़ा विरोध करते हैं।
साझा बयान में कहा गया है कि जी-7 देश तालिबान से महिलाओं और लड़कियों पर प्रतिबंध हटाने, उनके मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग करते हैं। रोजगार, शिक्षा और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की समान और सार्थक भागीदारी, उनके आंदोलन व अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का सम्मान करने की मांग करते हैं। यह देश की दीर्घकालिक शांति, स्थिरता और विकास के लिए आवश्यक है।
सिर से पैर तक बुर्का पहनें महिलाएं : अखुंदजादा
बीते शनिवार को तालिबान प्रमुख हिबतुल्ला अखुंदजादा ने अफगानिस्तान में सार्वजनिक रूप से महिलाओं को बुर्का पहनने का फरमान सुनाया था। काबुल में कार्यक्रम के दौरान तालिबानी अधिकारियों ने इसे जारी किया। अधिकारियों ने कहा कि महिलाओं को चादोरी यानी सिर से पैर तक बुर्का पहनना चाहिए। ये परंपरागत और सम्मानजनक है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा महिलाओं पर लगाए गए सबसे कठोर प्रतिबंधों में से एक है। इससे पहले अफगानिस्तान में तालिबान ने पोस्टर चिपका कर महिलाओं को घरों में रहने का आदेश दिया था।
तालिबान ने 1990 के दशक में अपने शासन काल में अफगानिस्तान में महिलाओं को बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया था।
तालिबान के खिलाफ महिलाओं का खुले चेहरे के साथ प्रदर्शन
अफगानिस्तान में तालिबान के नए फरमान के खिलाफ महिलाओं ने गत दिवस विरोध प्रदर्शन किया। काबुल में प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने हिजाब नहीं पहना और अपना चेहरा भी खुला रखा। महिलाएं ‘जस्टिस, जस्टिस’ के नारे लगा रही थीं।
इस दौरान शमा अलीमियार नामक महिला ने कहा कि हम भी इंसान हैं और उसी तरह से जीना चाहते हैं। हम नहीं चाहते की कोई हमें पशुओं की तरह घर में कैद कर रखा जाए। हमें सार्वजनिक जगहों पर अपने चेहरे और शरीर को ढंकने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है। बुर्का हमारा हिजाब नहीं है। तालिबान के लड़ाकों ने इन महिलाओं को प्रदर्शन से रोकने की भी कोशिश की।
यह है तालिबान का नया फरमान
- अफगानिस्तान में महिलाओं को अब सार्वजनिक जगहों पर हिजाब पहनना ही होगा।
- महिला ने घर के बाहर रहने पर अपना चेहरा नहीं ढंका तो, उसके पिता या करीबी पुरुष रिश्तेदार को जेल में डाल दिया जाएगा।
- परिवार की महिला द्वारा हिजाब नहीं पहनने पर पुरुष रिश्तेदार को सरकारी नौकरी से निकाल दिया जाएगा।