संजय सिंह को मिली राज्यसभा सदस्य के तौर पर शपथ लेने की अनुमति, कोर्ट ने जेल अधिकारियों को दिया ये आदेश - न्यूज़ इंडिया 9
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संजय सिंह को मिली राज्यसभा सदस्य के तौर पर शपथ लेने की अनुमति, कोर्ट ने जेल अधिकारियों को दिया ये आदेश

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को बतौर सांसद शपथ लेने की इजाजत मिल गई है. संजय सिंह के शपथ ग्रहण मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 19 मार्च को उन्हें संसद भवन ले जाने की इजाजत दी है. कोर्ट ने जेल अथॉरिटी को निर्देश जारी किया है कि पूरी सुरक्षा के इंतजाम किये जाए और सुरक्षा घेरे में ही संजय सिंह को शपथ ग्रहण के लिए संसद ले जाया जाये.

संजय सिंह जनवरी में दूसरी बार राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए हैं लेकिन अभी तक उनको शपथ नहीं दिलाई जा सकी है. राउज एवेन्यू कोर्ट ने तिहाड़ जेल अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि संजय सिंह को शपथ दिलाने के लिए पर्याप्त सुरक्षा के तहत संसद में ले जाया जाए और शपथ के बाद उन्हें सुरक्षित रूप से जेल में वापस लाया जाए.

मोबाइल यूज करने की इजाजत नहीं: कोर्ट के निर्देशों के अनुसार इस दौरान संजय सिंह मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करेंगे. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को किसी आरोपी, संदिग्ध या गवाह से बात करने की अनुमति नहीं होगी. संजय सिंह को इस दौरान प्रेस को संबोधित करने या कोई सार्वजनिक बैठक आयोजित करने की अनुमति नहीं होगी. संजय सिंह जनवरी में दूसरी बार राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए हैं लेकिन अभी तक उनको शपथ नहीं दिलाई जा सकी है. इससे पहले शपथ लेने के लिए जब संजय सिंह को इजाजत मिली थी तब वह संसद तो पहुंचे थे लेकिन वह शपथ नहीं ले सके थे.

कौन है संजय सिंह: 22 मार्च 1972 को जन्मे संजय सिंह की राजनीति में आने से पहले सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान थी. साल 2018 से दिल्ली से राज्यसभा सदस्य के रूप में इन्होंने कार्य किया है. संजय सिंह आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा के राज्य प्रभारी भी हैं. संजय सिंह आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं और वह पार्टी में राजनीतिक मामलों की समिति के भी सदस्य हैं.

अक्टूबर 2023 में दिल्ली में कथित शराब घोटाले में ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया था. तब से वो जेल में हैं. आम आदमी पार्टी ने इन्हें राज्यसभा भेजने का जब फैसला लिया तो अब नामांकन भरने के लिए भी इन्हें कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ी थी और 12 जनवरी को निर्विरोध चुने जाने के बाद भी प्रमाण पत्र लेने के लिए वह आए थे. इसके लिए अदालत से ही परमिशन लेनी पड़ी थी.

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