अंतर्राष्ट्रीय

पाक में चरम पर सियासी तपिश, इमरान के कठिन दौर में राजनीतिक मोर्चे से गायब हुए 50 मंत्री, विपक्ष बोला- नहीं बचेगी सरकार

पाकिस्तान (Pakistan) की संसद के निचले सदन यानी नेशनल असेंबली में आज सियासी तूफान की शुरुआत हो गई है. विपक्ष के अनुरोध पर संयुक्‍त सत्र की बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में प्रधानमंत्री इमरान खान (Prime Minister Imran Khan) के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) पर चर्चा की जानी थी. लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के लिए स्पीकर ने संसद को सोमवार (28 मार्च) तक के लिए स्थगित कर दिया है.

विपक्ष को इस बात का डर पहले से था कि स्पीकर एक संसाद के निधन के चलते सत्र को सोमवार तक के लिए स्थगित कर सकते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए विपक्षी पीडीएम ने अपनी रणनीति को मजबूत कर लिया है. पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, विपक्ष ने शुक्रवार को सदन के भीतर भी प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी. इसके लिए सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने को कहा गया था. हालांकि इस स्थगन का विपक्ष ने विरोध किया है.

क्या है पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट?

पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) पाकिस्तान मुस्लिम-लीग (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, जमियत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) सहित 20 अन्य राजनीतिक दलों का एक संयुक्त गठबंधन है. पीडीएम के नेताओं का दावा है कि उनके पास सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के दर्जनों बागी और सहयोगियों का समर्थन है. दूसरी तरफ इमरान खान के विरोधी पीटीआई के दलबदलुओं को यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें सरकारी सहयोगियों से अधिक समर्थन मिल रहा है.

विपक्ष को 172 वोट की जरूरत

प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को गिराने के लिए पाकिस्तान की 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में विपक्ष को 172 वोटों की जरूरत है. हालांकि इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की प्रक्रिया में देरी करने की कोशिश भी कर रहे हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर पार्टी के बागी सांसदों को अयोग्य करार दिए जाने के संबंध में अदालत से संवैधानिक आधार पर उसका विचार जानना चाहा है. पीटीआई के करीब दो दर्जन सांसदों ने प्रधानमंत्री इमरान खान नीत सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान उनके खिलाफ वोट देने की धमकी दी थी. पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 63-ए की व्याख्या ‘प्रेसिडेंशियल रेफरेंस’ के लिए महाधिवक्ता खालिद जवान खान ने यह अर्जी दी है.

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