मनरेगा योजना के लाभार्थियों की राशि ठगने वाले साइबर ठगों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, फर्जी फाइनेंस कंपनी बनाकर कर रहे थे ठगी  - न्यूज़ इंडिया 9
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मनरेगा योजना के लाभार्थियों की राशि ठगने वाले साइबर ठगों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, फर्जी फाइनेंस कंपनी बनाकर कर रहे थे ठगी 

बिहार। वैशाली साइबर थाना की पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर काजीपुर थाना क्षेत्र के पहेतिया गांव में छापेमारी कर साइबर ठगी से जुड़े दो युवकों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से बड़ी मात्रा में तकनीकी उपकरण और फर्जी दस्तावेज बरामद किए गए हैं।

गिरफ्तार किए गए आरोपितों की पहचान उमाकांत साहनी के पुत्र निखिल कुमार और दिनेश साहनी के पुत्र मनदीप कुमार के रूप में हुई है। पुलिस ने इनके पास से एक लैपटॉप, चार मोबाइल फोन, 309 एटीएम कार्ड, 234 सिम कार्ड, एक माइक्रो एटीएम, एक फिंगरप्रिंट स्कैनर, 53 लोगों के आधार कार्ड की छायाप्रतियां, कई डायरी, दस्तावेज और मनरेगा योजना से संबंधित 35 फाइलें बरामद की हैं।

साइबर डीएसपी चांदनी सुमन ने थाना परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। मौके पर सदर टू एसडीपीओ ओमप्रकाश भी मौजूद रहे। डीएसपी चांदनी सुमन ने बताया कि दोनों आरोपित मनरेगा योजना के अंतर्गत मजदूरों की राशि निकालकर हड़प लिया करते थे। इसके अलावा ये लोग ‘दानवी फाइनेंस सर्विस लिमिटेड’ नाम की फर्जी फाइनेंस कंपनी बनाकर आम लोगों से ठगी करते थे। उनके पास इस कंपनी के नाम का कोई वैध लाइसेंस नहीं है।

गुप्त सूचना के आधार पर साइबर थाना की टीम ने काजीपुर थाना के सहयोग से पहेतिया गांव में छापेमारी की। इस दौरान आरोपी मनदीप कुमार पुलिस को देख भागने का प्रयास कर रहा था, जिसे सशस्त्र बलों की मदद से पकड़ लिया गया। उसकी तलाशी में दो मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, फर्जी फाइनेंस कंपनी से जुड़े दस्तावेज, आधार कार्ड और अन्य कागजात बरामद किए गए। इसके बाद मनदीप की निशानदेही पर निखिल कुमार के घर पर छापेमारी की गई। वहां से दो मोबाइल फोन, 309 एटीएम कार्ड, 234 सिम कार्ड, एक माइक्रो एटीएम डिवाइस, एक फिंगरप्रिंट स्कैनर, मनरेगा की 35 फाइलें, 32 लोगों के आधार कार्ड की छायाप्रतियां और एक डायरी बरामद की गई।

पूछताछ में आरोपितों ने स्वीकार किया कि वे फर्जी लोन देने के बहाने लोगों से उनके दस्तावेज और आधार कार्ड लेकर ठगी करते थे। इसके अलावा वे फिनो पेमेंट बैंक में मजदूरों के नाम पर खाते खुलवाकर, उसमें मनरेगा की राशि आने पर कुछ रकम मजदूरों को देकर शेष राशि अपने या अन्य खातों में ट्रांसफर कर लेते थे। मजदूरों को नया सिम दे दिया जाता था, जिससे उन्हें अपने खाते की जानकारी न मिल सके।

जॉब कार्ड बनवाने के नाम पर भी ये लोग लोगों की निजी जानकारी, आधार कार्ड और अंगूठे का निशान ले लिया करते थे। पूरे मामले में साइबर थाना में आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है। इस पूरे प्रकरण में स्थानीय मुखिया और मनरेगा पदाधिकारी किशन गुप्ता की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। भारी मात्रा में सरकारी दस्तावेज और फाइलें आम नागरिक के पास से मिलना कई गंभीर सवाल खड़े करता है। फिलहाल अधिकारी पूरे मामले की गहन जांच में जुट गए हैं।

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