लैंडर और रोवर को फिर जगाने की कोशिश करेगा ISRO, शिव शक्ति प्वाइंट पर सूर्योदय का हो रहा इंतजार
आज के दिन यानी 21 सितंबर को Chandrayaan-3 के विक्रम और प्रज्ञान फिर से जाग सकते हैं। 15 दिन से सो रहे प्रज्ञान और विक्रम पर फिर से सूरज की किरणें पड़ने वाली हैं और इस बीच भारतीय उपग्रह अनुसंधान केंद्र (ISRO) कोशिश करेगा कि वह विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को नींद से जगा सके।
शिवशक्ति पॉइंट पर 15 दिनों तक करीब -200 डिग्री सेल्सियस का तापमान था और चारों तरफ अंधेरा छा गया था। ऐसे में इसरो की तरफ से भेजे गए लैंडर औऱ रोवर अपना काम नहीं कर पा रहे थे और उनको सुला दिया गया था, यानी निष्क्रिय कर दिया गया था। लेकिन, आज या कल में 15 दिनों का इंतजार खत्म होने वाला है। इसरो फिर से इन दोनों को जगाने की कोशिश करने जा रहा है।
शिवशक्ति पॉइंट पर सूरज की किरण पड़ते ही जागेंगे प्रज्ञान और विक्रम
बता दें कि लैंडर और रोवर को इसी शिवशक्ति पॉइंट पर स्थापित किया गया है और यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से करीब 600 किलोमीटर दूर है। 23 अगस्त को जब भारत के मिशन चंद्रयान ने कामयाबी की एक और गाथा लिखी थी तो उस समय इसी पॉइंट पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान ने लैंड किया था।
क्यों बंद हो गए थे विक्रम और प्रज्ञान?
इसरो ने पहले ही जानकारी दी थी कि जब सूर्य दक्षिणी ध्रुव से दूर चला जाएगा तो शिवशक्ति पॉइंट यानी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंधेरा छा जाएगा और तापमान के काफी कम होने से बर्फ भी जम सकती है ऐसे में लैंडर और रोवर काम करना बंद कर देंगे। साथ ही इसरो ने यह भी कहा था कि जब सूरज की रोशनी इसपर फिर से लौटेगी तो फिर उजाला होगा, तापमान कम होगा और इसरो विक्रम और प्रज्ञान को फिर से जगाने की कोशिश करेगा। हालांकि 15 दिन के सफल सफर में लैंडर और रोवर ने सफलतापूर्वक अपना काम पूरा किया।
21 और 22 सितंबर को इसरो शुरू करेगा प्रयास
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि जैसे ही शिवशक्ति पर सूरज निकलेगा, लैंडर और रोवर, दोनों के यंत्र जाग उठेंगे। इनको फिर से काम पर लाने के लिए इसरो की तरफ से 21 और 22 सितंबर को कोशिश की जाएगी और यह चांद के उदय के समय किया जाएगा।
इसरो ने बताया कि अगर सबकुछ प्लान के मुताबिक होता है तो इसकी तरफ से कमांड मिलने के बाद यह रोवर में फीड हो जाएगी और यह चलने लगेगा। और इसके बाद यही प्रक्रिया लैंडर के साथ भी की जाएगी।
4 सितंबर को सो गया था लैंडर विक्रम
इसरो ने 4 सितंबर को बताया था कि चंद्रयान-3 मिशन का विक्रम लैंडर सुबह करीब 8 बजे सोने चला गया। इससे पहले चास्ते (ChaSTE), रंभा-एलपी और इलसा पेलोड द्वारा नए स्थान पर यथावत प्रयोग किए गए। जो आंकड़े कलेक्ट किए गए, उन्हें पृथ्वी पर भेजा गया। उसने कहा था कि पेलोड को बंद कर दिया गया और लैंडर के रिसीवर को चालू रखा गया है। यानी सिर्फ रिसीवर को ऑन रखा गया था बाकी सब सुप्तावस्था में चले गए थे।
बता दें कि चांद पर रात होने से पहले लैंडर और रोवर एक दूसरे से 100 मीटर की दूरी पर भी चले गए थे और इसरो ने कहा था कि यह एक अच्छी खबर है।