चौराहों पर बंद पड़े सीसीटीवी कैमरों की करवाई जांच, गतिविधियों पर रहेगी नजर
नोएडा। इंटीग्रेटिड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम-आईटीएमएस- के तहत शहर में उन चौराहे-तिराहे पर भी सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए जो अब बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में इन कैमरों का प्रयोग नहीं हो पा रहा है जबकि प्राधिकरण के रिकार्ड में कैमरे लग गए हैं। ऐसे में जिन रास्तों को पहले से ही सिग्नल फ्री किया जाना प्रस्तावित था, उन पर कैमरे लगाना योजना पर सवाल खड़े करता है। प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि इन जगह से तेज गति वाहनों को कैच करने वाले कैमरों को छोड़कर बाकी दूसरी जगह लगवाए जाएंगे।
आईटीएमएस के तहत एडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम के तहत ट्रैफिक सिग्नल संचालित होंगे। इसके तहत 84 स्थानों पर 1065 सीसीटीवी हाई रेजेल्यूशन के लगाए गए हैं। कैमरे लगाने और इनके संचालन का जिम्मा एफकॉन इंडिया लिमिटेड को दिया गया। कैमरे लगाने के लिए प्राधिकरण ने एफकॉन इंडिया लिमिटेड से 64 करोड़ 49 लाख रुपये में अनुबंध किया। पांच साल तक कंपनी सभी कार्यो का रखरखाव व संचालन भी इसी लागत में करेगी।
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि कैमरों के जरिए यातायात नियम तोड़ने वाले वाहन चालकों पर शिंकजा कसेगा। नियम तोड़ते ही संबंधित वाहनों के ई-चालान हुआ करेंगे। खास बात यह है कि शहर के आंतरिक हिस्से में कैमरे लगाने का काम पूरा हो चुका है। इनको कमांड कंट्रोल सेंटर से जोड़ दिया गया है। लेकिन इस बीच तीन-चार महीने पहले उन चौराहे-तिराहे पर भी कैमरे लगा दिए गए हैं जिनको अब बंद कर दिया गया है। इन चौराहों में सेक्टर-3 टीसीरीज, सेक्टर-19 टेलीफोन एक्सचेंज, सेक्टर-10 तिराहा, सेक्टर-21ए नोएडा स्टेडियम चौराहे का एक हिस्सा समेत अन्य स्थान शामिल हैं। अगले तीन-चार दिन में चौड़ा मोड़ चौराहे के एक हिस्से को भी वाहनों के लिए बंद कर दिया जाएगा। खास बात यह है कि ये सभी चौराहे एक ही रूट पर एमपी वन पर आते हैं। इसके अलावा सेक्टर-39 डिग्री कॉलेज तिराहा समेत कुछ और स्थान शामिल हैं। ऐसे में इन चौराहों पर लगे कैमरों का अब ज्यादा प्रयोग नहीं हो सकेगा। सेक्टर-12 निवासी सचिन सिंह का कहना है कि एमपी वन रास्ते को सिग्नल फ्री करने के बारे में तीन-चार से सुन रहे थे। करीब डेढ़ साल पहले काम भी शुरू हो चुका है। ऐसे में इन जगह कैमरे नहीं लगाए जाने चाहिए थे। सेक्टर-34 निवासी विवेक का कहना है कि प्राधिकरण के विभागों के बीच आपसी तालेमल की कमी से ही सरकारी पैसे का नुकसान होता है। इस बारे में नोएडा प्राधिकरण के डीजीएम एसपी सिंह का कहना है कि जो चौराहे-तिराहे बंद हो गए हैं उन जगह से कैमरे हटवाकर दूसरी जगह शिफ्ट कराए जाएंगे। सिर्फ इन जगह तेज गति से चलने वाले वाहनों को कैद करने वाले कैमरों को रखा जाएगा। चौराहे बंद होने से पहले ही यहां कैमरे लगा दिए गए थे।
सिग्नल फ्री की तैयारी फिर भी लगाए गए कैमरे
एमपी वन रूट को सिग्नल फ्री करने की कवायद बीते चार-पांच साल से चल रही है। इसके बावजूद यहां कैमरे लगा दिए गए हैं। ऐसे में नोएडा प्राधिकरण के संबंधित विभागों के बीच तालमेल नहीं होना दर्शाता है।
एक स्थान पर 75 लाख रुपये का खर्चा
शहर में 84 स्थानों पर सीसीटीवी लगाने का बजट 64 करोड़ 49 लाख रुपये तय किया गया। ऐसे में औसतन एक स्थान पर कैमरे लगाने का खर्च करीब 75 लाख रुपये आता है। ऐसे में बंद हो चुके आधा दर्जन चौराहे-तिराहे पर करीब साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।