अंतर्राष्ट्रीय

भारत ने दी चीन-पाक को चेतावनी, CPEC में तीसरे पक्ष को न्योता मंजूर नहीं

नई दिल्लीः चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) प्रोजेक्ट में भारत ने किसी भी तीसरे देश की भागीदारी का विरोध किया है. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि किसी भी पक्ष की तरफ से ऐसी कोई भी कार्रवाई भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता में दखल मानी जाएगी. भारत ने एक बार फिर साफ किया है कि वह CPEC प्रोजेक्ट का विरोध करता है, क्योंकि वह उसके क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिस पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है.

दरअसल CPEC में चीन- पाकिस्तान ने तीसरे देश को भी निवेश के लिए खुला आमंत्रण दिया है. विदेश मंत्रालय ने साफ किया है की ऐसी कोई भी गतिविधियों को अवैध और अस्वीकार्य समझा जाएगा और भारत ऐसे मसलों को देखेगा. पाकिस्तान और चीन के बीच CPEC को लेकर एक बड़ी बैठक हुई है. इसी बैठक में तीसरे देश को निवेश के लिए करने का फैसला लिया गया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जताया सख्त विरोध
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत ने तथाकथित सीपीईसी परियोजनाओं में तीसरे देशों की प्रस्तावित भागीदारी को प्रोत्साहित करने वाले दोनों देशों पर रिपोर्ट देखी है. किसी भी पार्टी द्वारा इस तरह की कोई भी कार्रवाई सीधे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है. बागची ने 2013 में शुरू किए गए राजमार्गों, रेल लिंक, बिजली संयंत्रों, विनिर्माण इकाइयों और बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के नेटवर्क सीपीईसी के लिए भारत के विरोध को दोहराया.

क्या है CPEC प्रोजेक्ट?
CPEC को 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत एक प्रमुख उद्यम के रूप में लॉन्च किया गया था. हालांकि, पाकिस्तानी राजनेताओं और अधिकार समूहों ने सीपीईसी पर स्थानीय समुदायों को लाभ प्रदान किए बिना देश के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने का आरोप लगाया है. चीन- पाकिस्तान आर्थिक गलियारा प्रोजेक्ट के अंतर्गत पाकिस्तान के अंदर कई प्रोजेक्ट का निर्माण चल रहा है.

CPEC चीन और पाकिस्तान के बीच कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट है जिसकी शुरुआत काशगर से होती है. CPEC पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर से भी गुजरता है इसलिए भारत इसे अपनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता में दखल मानता है. पाकिस्तान ने अतीत में सीपीईसी के लिए सऊदी अरब जैसे अन्य देशों से निवेश लाने की कोशिश की है, लेकिन इन प्रयासों में उसे ज्यादा सफलता नहीं मिली है.

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