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गाजियाबाद में हुई हैवानियत में सिविल सोसाइटी के लोगों ने कहा पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी हो एफआईआर दर्ज

गाजियाबाद। युवती से हैवानियत के मामले में लापरवाह पुलिसकर्मियों को भी कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उनके खिलाफ भी आईपीसी की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज होना चाहिए। ताकि भविष्य में महिला सुरक्षा का दावा करने वाली पुलिस भी इससे सबक ले सके। शहर के सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने इस मामले में पुलिसकर्मियों को भी उतना ही जिम्मेदार माना है जितना की इस घिनौनी घटना के आरोप। युवती से हुई दरिंदगी के मामले में लापरवाही पर भले ही कविनगर एसएचओ तथा दो दरोगा निलंबित किए जा चुके हैं, लेकिन लोग इससे संतुष्ठ नहीं है। समाज से जुड़े में विभिन्न मुद्दों के उठाने वाले लोगों से हिन्दुस्तान टीम ने इस मुद्दे पर बात की। सभी ने एक स्वर में कहा कि लापरवाही किसी भी हद तक बर्दास्त नहीं की जा सकती। खास बात यह है कि सरकार का जोर महिला सुरक्षा को लेकर है। एक तरह तो शहर को सेफ सिटी में तबदील किया जा रहा है वहीं इस तरह की घनौनी वारदात हो रही है। माया मामता चेरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष ममता गुप्ता का कहना है कि इस घटना के होने में तो खुद पुलिस ही दोषी है। आखिर आधी रात को किसी युवती को थाने से अकेला भेजना कहां का इंसाफ है। आनंद सेवा समिति की अध्यक्ष ममता सिंह का कहना है कि पुलिस किसी भी वारदात में छोटी से छोटी लारवाही को पकड़ती है। इस घटना में तो सीधे-सीधे पुलिस ही जिम्मेदार है। रात के समय यह दस्तावेज इतने जरूरी थे तो पुलिस युवती को अपना साथ लेकर जाती। यदि पुलिस युवती ने थाने से नहीं भेजती तो गाजियाबाद में निर्भया जैसा यह कांड नहीं होता। व्यापार मंडल से जुडे व्यापारी पंडित अशोक भारतीय का कहना इस घटना में जो भी दोषी है उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सबसे बड़ी लापरवाही पुलिस की है। लिहाजा पुलिस के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज होनी चाहिए। आरड्ब्ल्यूए फेडरेशन के चेयरमैन टीपी त्यागी का कहना है कि इसमें सबसे ज्यादा जिम्मेदार पुलिसकर्मी है। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी सही प्रकार से नहीं निभाई। उनकी लापरवाही के कारण एक परिवार बर्बादी की कगार पर है। इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के साथ उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जाय। इसके एक मिसाल बनेगी की लापरवाही कोई भी करे सजा सभी के लिए बराबर है।

एक तरफ को कहा जा रहा है कि रात के समय बहु बेटियों की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस का है। दूसरी ओर पुलिस की खुद इतनी बचकानी हरकत कर रही है। इस मामले में वह सभी पुलिसकर्मी दोषी है दो उस समय थाने में थे। सभी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होनी चाहिए।

-ममता सिंह, अध्यक्ष, आनंद सेवा समिति

बहन बेटी सभी की बराबर है। आखिर रात के समय पुलिस ने युवती को अकेले थाने से क्यो भेजा। यहां रात के समय सड़क पर अकेले निकलने पर पुलिस ने उसे मजबूर किया था। लिहाजा युवती की हालत के दोषी पुलिसकर्मी भी है। उनके खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज होनी चाहिए।

-ममता गुप्ता, अध्यक्ष, माया मामता चेरिटेबल ट्रस्ट

इस वारदात में सबसे बडी दोषी पुलिस है। घटना के बाद अपने को बचाने के लिए परिवार पर दबाव भी बनाया जा रहा है। मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने मुकदमा चलना चाहिए। इस मामले को वह मुख्यमंत्री तक लेकर जाएंगे।

– टीपी त्यागी, चेयरमैन, आरड्ब्ल्यूए फेडरेशन

इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। रात में किसी भी महिला को अकेले नहीं भेजना चाहिए। उसके साथ पुलिसकर्मी को भी जाना चाहिए था।

-पंडित अशोक भारतीय, उपाध्यक्ष, पश्चिम उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय व्यापार मंडल

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