हंगामेदार हो सकती जीएसटी काउंसिल की बैठक, कैसिनो और आनलाइन गेमिंग पर बड़ा फैसला संभव
ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) का आनंद लेते हैं, यह गेम खेलते हैं तो आपके लिए ये जरूरी खबर है. अगर आप केसिनो में जुआ खेलने के शौकीन हैं या घुड़दौड़ में सट्टेबाजी (Horse Racing) चलाते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि अगली जीएसटी काउंसिल (GST Council) की बैठक में इस तरह की गतिविधियों पर 28 परसेंट टैक्स लग सकता है. अगले हफ्ते जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है. मंत्रियों के समूह ने ऑनलाइन गेमिंग पर जीएसटी के फुल वैल्यू में टैक्स लगाने का सुझाव दिया है. यहां तक कि ऑनलाइन गेमिंग में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों के एंट्री फी पर भी टैक्स लगाने का सुझाव है. मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा जीएसटी मंत्री समूह के अध्यक्ष हैं.
घोड़े के रेस कोर्स को लेकर भी मंत्री समूह ने अपना सुझाव दिया है. घुड़दौड़ की सट्टेबाजी पर पूरे वैल्यू का टैक्स लगाने और बुकी पर इसे चस्पा करने का सुझाव है. केसिनो के मामले में मंत्री समूह ने कहा है कि केसिनो में कोई खिलाड़ी जो चिप या कॉइन खरीदता है, उसी पर फुल फेस वैल्यू के मुताबिक टैक्स लगना चाहिए. सट्टेबाजी के हर राउंड में लगने वाले पैसे पर जीएसटी लगाने की कोई जरूत नहीं है. मंत्री समूह ने केसिनो में एंट्री या एक्सेस फी पर 28 परसेंट जीएसटी लगाने का सुझाव दिया है. फूड या बेवरेज पर अनिवार्य तौर पर जीएसटी लगाने का सुझाव है.
28 परसेंट टैक्स का घाटा
अभी केसिनो, हॉर्स रेसिंग और ऑनलाइन गेमिंग पर 18 परसेंट जीएसटी लगता है जिसे बढ़ाकर 28 परसेंट करने की तैयारी है. अगर मंत्री समूह के सुझाव मान लिए गए तो इन गतिविधियों पर 18 की जगह 28 परसेंट टैक्स लग सकता है. मंत्री समूह जीएसटी काउंसिल की बैठक में तय करेगा कि कौन सी सर्विस जीएसटी के दायरे में आएगी और उस पर कितना टैक्स होना चाहिए. सरकार ने पिछले साल मई महीने में राज्यों के मंत्रियों का एक समूह बनाया था ताकि केसिनो, ऑनलाइन गेमिंग और रेस कोर्स पर टैक्स का वैल्यूएशन का किया जा सके. अब इस मंत्री समूह ने इन गतिविधियों पर 28 फीसद टैक्स लगाने की सिफारिश कर दी है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ‘पीटीआई’ से कहते हैं कि ऑनलाइन गेमिंग, हॉर्स रेसिंग और केसिनो को 28 परसेंट टैक्स के दायरे में रखने से ये गतिविधियां उसी श्रेणी में आ जाएंगी जिसमें पान मसाला, तंबाकू और एरेटेड पानी जैसे प्रोडक्ट आते हैं. रजत मोहन का कहना है कि इन गतिविधियों पर नेट वैल्यू की जगह ग्रॉस रेवेन्यू पर टैक्स लगाने का अर्थ दुनिया के टैक्स नियमों से बिल्कुल अलग होना हो जाएगा. इससे सरकार की कमाई बढ़ सकती है, लेकिन बाद में बड़ा घाटा कालाबाजारी और कालाधन के रूप में दिख सकता है. अधिक टैक्स लगाने से असंगठित क्षेत्र का कारोबार तेजी से फैलेगा.