केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी का निधन, दो बार रहे थे CM
केरल के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओमान चांडी का मंगलवार (18 जुलाई) को निधन हो गया. वे कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भी नजर आए थे. केरल कांग्रेस के अध्यक्ष के सुधाकरन और चांडी के परिजनों ने मंगलवार को उनके निधन की जानकारी साझा की. कांग्रेस के दिग्गज नेता कहे जाने वाले ओमान चांडी 79 वर्ष के थे.
के सुधाकरन ने ट्वीट करते हुए कहा, ”उस राजा की कहानी जिसने ‘प्रेम’ की शक्ति से दुनिया पर जीत हासिल की, उसका मार्मिक अंत हुआ. आज, मैं एक दिग्गज ओमान चांडी के निधन से बहुत दुखी हूं. उन्होंने अनगिनत व्यक्तियों के जीवन को प्रभावित किया और उनकी विरासत हमेशा हमारी अंतरआत्माओं में गूंजती रहेगी.”
बेटे ने दी निधन की जानकारी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के निधन की जानकारी उनके बेटे ने दी. उन्होंने ओमान चांडी के फेसबुक पेज पर लिखा कि अप्पा नहीं रहे. दो बार केरल के सीएम रहे ओमान चांडी ने बेंगलुरु में मंगलवार को अंतिम सांस ली. जानकारी के अनुसार, लंबे समय से बीमार चल रहे चांडी का बेंगलुरु के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था.
केरल कांग्रेस ने उनके निधन पर कहा कि ओमान चांडी को सभी पीढ़ियों और आबादी के सभी वर्गों की ओर से प्यार मिलता था. केरल कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए लिखा, ”हमारे सबसे प्रिय नेता और पूर्व सीएम को विदाई देते हुए बेहद दुख हो रहा है. ओमन चांडी केरल के सबसे लोकप्रिय और बेमिसाल नेताओं में से एक थे. चांडी सर को लोगों की सभी पीढ़ियों और वर्गों की ओर से प्यार किया जाता था. कांग्रेस परिवार उनके नेतृत्व और ऊर्जा को याद करेगा.”
कौन थे ओमन चांडी?
ओमन चांडी दो बार 2004-06 और 2011-16 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे. अनुभवी कांग्रेस नेता ने 27 साल की उम्र में 1970 के राज्य विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करके विधायक के रूप में अपना कार्यकाल शुरू किया. बाद में उन्होंने तब से लगातार 11 चुनाव जीते. चांडी ने पिछले पांच दशकों में केवल अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र पुथुप्पल्ली का प्रतिनिधित्व किया.
2022 में, वह 18,728 दिनों तक सदन में पुथुपल्ली का प्रतिनिधित्व करके राज्य विधानसभा के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले सदस्य बन गए. उन्होंने केरल कांग्रेस (एम) के पूर्व सुप्रीमो दिवंगत केएम मणि के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया. चांडी ने अपनी राजनीतिक पारी के दौरान चार बार अलग-अलग मंत्रिमंडलों में मंत्री और चार बार राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया.