मेरठ में फर्जी मैरिज ब्यूरो : 15 दिन की ट्रेनिंग के बाद नकली मंगेतर बनकर लड़कियां ठगती थी रकम
Fake Marriage bureau in Meerut मेरठ के जागृति विहार में शादी कराने के नाम पर एक फर्जी मैरिज ब्यूरो संचालित हो रहा था। ये फर्जी मैरिज ब्यूरो युवतियों के माध्यम से भोले—भाले लोगों को शादी करवाने के नाम पर अपने जाल में फंसाता था और मोटी रकम वसूल करता था। जागृति विहार के गोपाल प्लाजा में चल रहा फर्जी मैरिज ब्यूरो उप्र के दूसरे जिलों के लोगों को अपने संजाल में फंसाने के लिए समाचार पत्र के माध्यम से विज्ञापन जारी करता था। जिसके बाद लोगों को अपने जाल में फंसाता था। ये फर्जी मैरिज ब्यूरो गैंग के सदस्य रिश्ते करवाने के नाम पर पहले साढ़े आठ हजार रुपये रजिस्ट्रेशन के लेते थे। उसके बाद अपने ही गैंग में शामिल युवतियों की शादी का रिश्ता करवाते थे।
इस संबंध में दिल्ली निवासी अमित शर्मा और मथुरा राया के लवकेश गुप्ता ने मैरिज ब्यूरो संचालित करने वाले अभियुक्त नीरज गर्ग और डिम्पल आदि के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद एसएसपी मेरठ ने एसपी सिटी और एसपी क्राइम को इस प्रकरण में जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए। आज पुलिस ने इस फजी मैरिज ब्यूरो में छापेमारी कर 15 लोगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार अभियुक्तगण ने पूछताछ पर बताया कि फरार अभियुक्त नीरज गर्ग व उसकी सहयोगी डिम्पल ने मिलकर गोपाल प्लाजा मेंडीकल में विवाह पंजीकरण केन्द्र नाम से कार्यालय खोल रखा है।
नीरज गर्ग ने विवाह पंजीकरण केन्द्र का प्रचार अखबार तथा सोशल मीडिया पर किया हुआ है। जिसको पढ़कर स्थानीय व अन्य जनपद और दूसरे राज्यों से विवाह के लिए इच्छुक लोग फोन पर वार्ता करते थे। जिनको कार्यालय में बुलवाया जाता था। जिनसे पंजीकरण के नाम पर 8500/- आठ हजार पॉच सौ रुपये लिये जाते थे। उसके उपरान्त लड़की दिखाने तथा उसके परिजनों से मिलाने के लिये कोई दिनांक नियत की जाती थी। नियत दिनांक पर कार्यालय में काम करने वाली किसी एक लड़की को तैयार कर मिलवाया जाता था। लड़की के साथ कार्यालय के ही महिला/पुरुष को अभिभावक के रुप में लड़के पक्ष से मिलवाया जाता था। दोनो पक्ष एक दूसरे का नम्बर आदान प्रदान करते थे। कुछ समय बाद पूर्व योजना के तहत लड़की विवाह हेतु इच्छुक आवेदन किये गये पुरुष से फोन पर बात करने लग जाती थी। इसके बाद उसको अपनी आवश्यकता या बीमारी का हवाला देकर पैसे वसूलने का काम करती थी। इसके बाद लड़की फोन पर बात करना बन्द कर देती थी। फिर किसी अन्य ग्राहक को इसी तरह फंसाकर धोखाधड़ी से पैसे हड़प करते थे।