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निगम सचिव हुए कमरे में लॉक….मेयर के टेबल पर चढ़े पार्षद…दिल्‍ली MCD में अचानक क्‍यों होने लगा ये सब?

नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) की बैठक एक बार फिर हंगामा और धक्का-मुक्की भाजपा व आप पार्षदों के बीच हुई। दिनभर की मशक्कत के बाद तीसरी कोशिश में महापौर डॉ. शैली ओबेराय धक्का-मुक्की के बीच निगम सदन में अपने आसन के पास पहुंची और सदन के एजेंडे को पास करने की जानकारी दी।

एजेंडे में स्थायी समिति की शक्तियां सदन को दिए जाने के साथ ही लोकल शॉपिंग कांप्लेक्स में ज्यूडिशियल कमेटी के आदेश के तहत डी-सीलिंग की प्रक्रिया शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया गया। सोमवार को सदन की बैठक वैसे तो दो बजे बुलाई गई थी।

महापौर के आसन पर चढ़ गए महापौर

ऐसे में दोपहर 2.27 बजे महापौर जैसे ही सदन में पहुंची तो भाजपा पार्षद निगम एक्ट के खिलाफ सत्तारुढ़ पार्टी पर कार्य करने का आरोप लगाते हुए महापौर के आसन पर चढ़ गए। दूसरी बार फिर 3.12 बजे महापौर पहुंची तो दूसरी बार भी यही स्थिति उत्पन्न हो गई। ऐसे में महापौर को दो बार सदन से बिना आसन पर बैठे ही बैरंग लौटना पड़ा।

भाजपा पार्षदों इन्हें कमरे में किया बंद

इस बीच सदन की बैठक में दिनभर भाजपा और आप पार्षद एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करते रहे तो वहीं, नेता विपक्ष राजा इकबाल सिंह के नेतृत्व में भाजपा के पार्षद निगम सचिव के कार्यालय के बाहर कुर्सी लगाकर बैठ गए और निगम सचिव शिवा प्रसाद और सहायक निगम सचिव मुकेश कुमार को कमरे से बाहर नहीं आने दिया।

इस बीच पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे और उनके हस्तक्षेप के बाद निगम सचिव के कमरे के बाहर से भाजपा पार्षदों को मनाकर हटा दिया गया। इसके बाद निगम सचिव जब शाम को सदन में पहुंचे तो फिर भाजपा पार्षदों ने हंगामा कर दिया। इससे वह अपनी कुर्सी से उठकर दूसरी तरफ खड़े हो गए।

महापौर शाम 6.20 मिनट पर तीसरी बार जब दूसरे दरवाजे आप पार्षदों के घेरे में सदन में पहुंची और धक्का मुक्की के बीच वह अपने आसन तक पहुंच गई। यहां पर उन्होंने दोनों प्रस्तावों को पास करने और निगम सदन की बैठक अगली तारीख तक स्थगित कर दी।

यह प्रस्ताव हुए पारित

दिल्ली नगर निगम की सदन की बैठक में जो प्रस्ताव पारित हुए हैं वह प्राइवेट मेंबर बिल है। स्थायी समिति का गठन होने तक पांच करोड़ से अधिक की राशि के कार्यों की वित्तीय मंजूरी की शक्ति सदन को देने का प्रस्ताव पारित किया गया है। यह प्रस्ताव आप पार्षद प्रवीण कुमार ने रखा था जिसकी आप पार्षद अंकुश नारंग ने संस्तुति की थी। वहीं, दूसरा प्रस्ताव आप पार्षद प्रेम चौहान ने रखा था। इसमें ज्यूडिशियल कमेटी के आदेश के तहत लोकल शापिंग कांप्लेक्स की डी-सीलिंग 19 जनवरी से शुरू करने की मांग की गई।

कब क्या-क्या हुआ?

  • 2.10 भाजपा और आप के पार्षद सदन में पहुंचने शुरू हुए।
  • 2.27 पर महापौर सदन में पहुंची लेकिन भाजपा पार्षदों के हंगामे के बाद वापस लौट गई।
  • 3.12 पर महापौर पुन: सदन में पहुंची लेकिन हंगामे के चलते आसन तक नहीं पहुंच पाई।
  • 3.40 पर भाजपा पार्षद निगम सचिव कार्यालय के बाहर बैठक गए और निगम सचिव को आने नहीं दिया।
  • 4.55 पर दिल्ली पुलिस के अधिकारी निगम सचिव कार्यालय पर पहुंचे और भाजपा पार्षदों को वहां से मनाकर हटाया।
  • 5.32 पर निगम सचिव निगम सदन में पहुंचे, लेकिन भाजपा पार्षदों के हंगामे के चलते वह अपनी कुर्सी पर बैठ नहीं पाए।
  • 6.20 पर महापौर निगम सदन में आप पार्षदों के घेरे के बीच पहुंची।
  • 6.21 पर महापौर के सदन के पहुंचने पर आप पार्षदों और भाजपा पार्षदों के बीच धक्का मुक्की हुई।
  • 6.22 पर महापौर ने सदन में प्रस्तावों के पारित होने की जानकारी देते हुए बैठक को स्थगित कर दिया।

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