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सेना और आयुष मंत्रालय में नौकरी के नाम पर करोड़ों की ठगी, लखनऊ में एसटीएफ ने दबोचा

लखनऊ। सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले दो जालसाजों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। दोनों आर्मी, एयरपोर्ट अथॉरिटी, नगर निगम, आयुष मंत्रालय समेत कई विभागों में नौकरी का झांसा देकर ठगी करते थे। दोनों जालसाज गोमतीनगर एक्सटेंशन से पकड़े गए हैं। इनके पास से दो दर्जन से अधिक फर्जी नियुक्ति पत्र व अन्य दस्तावेज मिले हैं। दोनों लोगों ने कबूल किया कि कई लोग बेरोजगार युवकों को कमीशन लेकर अपने पास लाते थे। एसटीएफ गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।

एसटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक गिरफ्तार किए गए दोनों जालसाजों में आदर्शनगर, कल्याणपुर निवासी विनय कुमार मिश्रा और सरोजनीनगर निवासी विजय कुमार दुबे शामिल हैं. विनय का एक घर गोमतीनगर एक्सटेंशन सेक्टर 6 में भी है, जबकि विजय कुमार मूल रूप से बिहार के नेपालगंज के रहने वाले हैं. गाजीपुर के कासिमाबाद निवासी अमरदीप सिंह ने पिछले साल जुलाई में मामला दर्ज कर आरोप लगाया था कि इन लोगों ने उन्हें आयुष मंत्रालय में आपरेटर की नौकरी दिलाने के लिए कह कर 7.55 लाख रुपये लिए, लेकिन उन्होंने जो नियुक्ति पत्र दिया वह निकला नकली हो। इस पर रुपये वापस मांगने पर उसने धमकी दी।

दो साल पहले शुरू हुई थी ठगी

एसटीएफ के एसपी विशाल के मुताबिक विनय मिश्रा ने 2020 में प्रगति पथ सर्विसेज के नाम से एक कंपनी बनाई थी। इसमें संजय सिंह और सचेंद्र शुक्ला को पार्टनर बनाया गया था। इसी कंपनी की आड़ में ये लोग सरकारी विभागों में स्थाई व संविदा नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों को ठगने लगे. विजय दुबे और रमेश गिरी बेरोजगारों को इन तीनों के पास लाते और कमीशन लेकर अलग हो जाते। बाकी रकम में विनय और संजय को 40-40 फीसदी और सचेंद्र को 20 फीसदी मिलता था. विनय खुद को फॉरेस्ट रेंजर बताकर बेरोजगारों से मिलता था। इससे लोगों को उन पर आसानी से विश्वास हो गया।

इन विभागों में नौकरी के नाम पर ठगी

एसटीएफ के मुताबिक, आयुष मंत्रालय, लखनऊ मेट्रो, एयरपोर्ट अथॉरिटी, लखनऊ नगर निगम, आयुध निर्माणी, आर्मी नर्सिंग समेत कई विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर जालसाजों ने ठगी की. जालसाजों ने लखनऊ नगर निगम में संविदा भर्ती के लिए 22 हजार रुपये की दर से 18 लोगों को मेट्रो लखनऊ में ग्राहक सेवा में संविदा भर्ती के नाम पर, 14 लोगों को 40 हजार रुपये की दर से, टीजीटी में नियुक्ति के नाम पर, आयुष मंत्रालय में संविदा नौकरी के नाम पर प्रति 3 व्यक्ति पर 2 लाख, जबकि लखीमपुर के अनिल तिवारी से 3 लाख, 25 लोगों से 10 लाख रुपये।

कमीशन पर एजेंटों की तलाश करते थे

एसटीएफ के मुताबिक पूछताछ के दौरान विनय मिश्रा ने कबूल किया कि इस धोखाधड़ी के लिए एक बड़ा नेटवर्क बनाया गया है, जिसमें विजय कुमार दुबे, रमेश गिरी जैसे एजेंट बेरोजगारों को फंसाकर लाते थे. उन्हें मोटा कमीशन दिया जाता था। जालसाजों के खिलाफ लखनऊ के तालकटोरा, सुल्तानपुर के कोतवाली देहात, विभूतिखंड, कासिमाबाद गाजीपुर, सुल्तानपुर गोसाईंगंज में छह मामले दर्ज हैं.

यह पाया गया

छह मोबाइल, 14 नियुक्ति पत्र, 5 प्रवेश पत्र, 4 स्टांप पेपर, 5 चेकबुक, दो पासबुक, एक पासपोर्ट, 4 पैन कार्ड, दो टिकट, एक टैबलेट, 100 बायोडाटा और शैक्षणिक दस्तावेज, एक चौपहिया और नकद।

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