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Noida Crime: जैसी जरूरत वैसा सार्टिफिकेट, नोएडा में फर्जी मार्कशीट गिरोह का बड़ा खुलासा

नोएडा। देश के कई राज्यों के बोर्ड और इंटरमीडिएट काउंसिल के फर्जी अंकपत्र, प्रमाण पत्र और पहचान पत्र समेत अन्य दस्तावेज बनाने वाले गिरोह का पुलिस ने खुलासा किया है। कोतवाली सेक्टर-63 पुलिस ने गिरोह के बीटेक पास सरगना बहलोलपुर निवासी थानचंद शर्मा समेत गढ़ी चौखंडी निवासी पुष्पेंद्र यादव और मथुरा निवासी गोविंद अग्रवाल को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने अब तक 150 से अधिक फर्जी दस्तावेज बनाकर लोगों को बेचे थे। पुलिस ने इनके पास से से 30 फर्जी मार्कशीट, 23 फर्जी स्थानांतरण प्रमाणपत्र (टी.सी), आठ फर्जी एडमिट कार्ड, 13 फर्जी प्रमाण पत्र, सात फर्जी चरित्र प्रमाण पत्र, आठ फर्जी मुहर और दो कार बरामद की है।

कोतवाली सेक्टर-63 पुलिस की टीम ने शनिवार को बहलोलपुर अंडरपास के पास से तीनों को गिरफ्तार किया है। नोएडा सेंट्रल जोन के डीसीपी अनिल यादव ने बताया कि आरोपी अलग अलग राज्यों के बोर्ड व इंटरमीडिएट काउंसिल के फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज बनाकर बेच रहे थे। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि कम समय में अधिक कमाई करने के चक्कर में गिरोह बनाकर वारदात कर रहे थे। आमतौर पर बेरोजगार, परीक्षा में फेल और नौकरी की आयु पार करने वाले लोगों की फर्जी मार्कशीट सहित अन्य शैक्षिक प्रमाण पत्र बनाते थे।

आरोपी 20 से 30 हजार रुपये लेने के बाद ग्राहक की इच्छा के अनुसार उसकी आयु, अंक, प्रतिशत और ग्रेड संबंधित दस्तावेज पर अंकित कर देते थे। ग्राहक इन्हीं दस्तावेज का इस्तेमाल नौकरी पाने में करते थे। फर्जी दस्तावेज के एवज में आरोपी ग्राहक की मजबूरी देखकर उसके हिसाब से पैसा लेते थे। जिन उपकरणों की मदद से फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते थे। पुलिस ने उसे भी बरामद कर लिया है। गिरोह के बदमाश गोविंद अग्रवाल को फर्जी दस्तावेज प्रकरण में एसटीएफ लखनऊ की टीम पूर्व में गिरफ्तार कर चुकी है। जेल से बाहर आने के बाद उसने फिर से ठगी शुरू कर दी थी।

सरगना चलाता था कोचिंग, छात्रों की मदद से ग्राहक खोजता था

गिरोह का सरगना थानचंद कोचिंग चलाता था। कोचिंग की आड़ में वह छात्रों से संपर्क करता था। जिनकी नौकरी की उम्र निकल गई होती थी वह उनसे पैसे लेकर फर्जी अंकपत्र से लेकर अन्य शैक्षणिक दस्तावेज बनाकर देता था। वह कोचिंग के छात्रों की मदद से ही ग्राहकों की तलाश करते थे। गिरोह में शामिल गोविंद बीए और पुष्पेंद्र 12वीं पास है। वहीं ग्राहकों को तलाशने के लिए आरोपी सोशल नेटवर्किंग साइट की भी मदद लेते थे।

लॉकडाउन के बाद शुरू किया धंधा

पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन बेरोजगार होने के बाद से उन्होंने फर्जीवाड़ा शुरू किया। इस गिरोह में कई और बदमाश भी शामिल हैं जिनकी पहचान की जा रही है। पुलिस इनके मोबाइल व लैपटॉप आदि की जांच कर रही है। आशंका है कि अभी कई और जानकारी जांच के बाद मिलेगी।

छोटी नौकरियों के लिए करते थे संपर्क

इन जालसाजों से सबसे अधिक वैसे लोग संपर्क करते थे जिनकी नौकरी की उम्र निकल गई होती थी या छोटी नौकरियों की चाहत रखते थे। ऐसे में ये जालसाज इन लोगों के लिए अच्छे अंक के साथ मार्कशीट तैयार करता था। जिन लोगों को ऐसे फर्जी मार्कशीट से काम मिलता था। वे लोग इनके लिए कमीशन पर ग्राहक ढूंढकर लाते थे। पुलिस इस पूरे नेटवर्क के बारे में पता लगा रही है।

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