अमात्रा होम्स के डायरेक्टरों का काला जाल

नोयडा ! सपनो के सौदागरों के खेल से आम लोगो के सपने दम तोड़ देते है जी हां दिल्ली एनसीआर में बिल्डर फ्लैटों के नाम पर ठगी करते है और आम आदमी का सपना सिसकता रहता है इनके प्रभाव के आगे नेता -अधिकारी बेबस दिखते है अदालते न हो तो ये ठग सुनहरे सपने बेच निकल लेते ये ताजा मामला है अमात्रा होम्स का काला जाल या इसे कहें मकड़ी का जाल का जो कि2011 में नंद गोपाल गुप्ता अपनी कंपनी की लगाम व अपनी कंपनी नंदी इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया और इन व्यक्तियों को जिन्हें बिल्डिंग बनाने का कोई अनुभव ही नहीं। ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जैसे एक मकड़ी अपना रास्ता बनाने के लिए सबके रास्ते बंद करके उन्नति का मार्ग ढूंढ जाल डाल देती है , वैसे ही अमात्रा होम्स के डायरेक्टरों ने 2011 में कर दी थी इस काले जाल की शुरुआत वो कहते हैं ना हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या वाली कहावत चरितार्थ करते हुए नंदी इंफ्राटेक निवेशक से पैसे ले चुका है परंतु भुगतान के लिए उसके पास पैसा नहीं है।
आमात्रा की कंपनियों के मकड़जाल के बारे में न्यूज़ इंडिया 9 पहले भी खबर चला चुका है।
कहीं यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का तो नहीं, कहीं आमात्रा होम्स के मालिक भी उसी राह पर तो नहीं चले हैं जिस पर चलकर आम्रपाली के मालिक जेल गए और सुपरटेक के मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई।
अब हम आपको बताते हैं अमात्रा होम्स के डायरेक्टरों का असली चेहरा शुरुवात करते हैं।
डायरेक्टर नंबर 1
महेंद्र बंसल से महेंद्र शुरू से आपराधिक गति विधियों में शामिल रहा है साथ ही टीटू पर पिछले बीते कुछ साल पहले मैच की बुक चलाने के आरोप भी लगे थे व संडे गारजन ने भी इसका बड़ा खुलासा किया था कि दिल्ली में किस तरह खुले आम चल रहा है सट्टे का कारोबार
डायरेक्टर नंबर 2
राजेश चोपड़ा (मास्टर माइंड)
सूत्रों की मानें तो राजेश दरसल पहले दलाली का कारोबार यानी खारी बावरी व चांदनी चौक के व्यापारियों का मार्किट में पैसे घुमाने का काम करता था हम राजेश चोपड़ा को दलाल इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ये राजेश बड़े पैमाने पर खारी बावरी व चांदनी चौक के व्यापारियों की नकदी को ब्याज पर चढ़ा ब्याज खाता था ऐसा करते करते व बिल्डरों के लाइफ स्टाइल व महँगी गाड़ियों को देख यह भी प्रापर्टी के कारोबार में मार्किट का पैसा लगा व दलाली छोड़ बिल्डर बना जाए और 2014 में वो इसमें कामयाब भी हो गया,सूत्रों से यह भी जानकारी मिली कि अमात्रा होम्स की कंपनियों का मकड़ जाल बनाने में यह राजेश चोपड़ा ही मास्टर माइंड हैं और राजेश ने ही अमात्रा होम्स के अन्य डायरेक्टरों को जेल भिजवाने का व जनता की गाढ़ी कमाई को अजगर की तरह निगलने के लिए मुम्बई में भी तीन कंपनियां बना दी है।
आखिर निवेशक का पैसा गया कहां
मनी लॉन्ड्रिंग में देश के पूर्व गृहमंत्री जेल में हैं। नोएडा के एक बड़े बिल्डर अनिल शर्मा जो कि आम्रपाली ग्रुप के मालिक हैं वे सपत्नीक जेल में आराम कर रहे हैं। पत्नी भी बेचारी जेल गई क्योंकि पति की कंपनियों में डायरेक्टर थी। आम्रपाली के और भी कई डायरेक्टर सलाखों के पीछे हैं।ग्रेटर नोएडा में एक बिल्डर आमात्रा होम्स भी अपने प्रोजेक्ट के 926 में से 700 के लगभग बेच चुका है। इनमें से बहुत थोड़े फ्लैट रेरा के गठन के बाद बेचे गए हैं। माननीय न्यायालय में बिल्डर ने एक भुगतान में फण्ड न होने का हवाला देते हुए भुगतान में असमर्थता जताई। भुगतान के बदले फ्लैट देने की पेशकश की। अभी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है। बिल्डर नंदी इंफ़्राटेक भुगतान के बदले फ्लैट दे रहा है। बहुत ही हास्यास्पद वह गंभीर स्थिति है। फिलहाल बिक्री से जो फ्लैट बचे हैं उनकी बिक्री पर माननीय न्यायालय ने रोक लगा दी है। आमात्रा होम्स प्रोजेक्ट के ए व जे टावर का कोई भी फ्लैट माननीय न्यायालय की अनुमति के बिना नहीं बेचा जा सकता है। रेरा ने भी प्रोजेक्ट अमात्रा होम्स के 750 फ्लैट्स को अंडर रिव्यु रख दिया है अब देखना ये होगा कि क्या निवेशकों को क्या मिल पाएगा अपने सपनों का आशियाना