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ग्रेनेड ब्लास्ट में वीरगति को प्राप्त हुए भगवान सिंह 1999 में बने थे भारतीय सेना का हिस्सा

अंबेडकरनगर: जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए पंचायत राजेसुलतानपुर के वसुधानगर वार्ड के पोखरभिट्टा के भगवान सिंह शहीद हो गए। भगनाव सिंह खुद तो चले गए लेकिन अपनी बहन से किया हुआ वादा और परिवार की जिम्मेदारियों को पीछे छोड़ गए।  भगवान सिंह ही घर में नौकरी करते थे। पिता महेंद्र सिंह किसान है। माता संवरी देवी गृहणी है। चार भाइयों व तीन बहनों में वह दूसरे नंबर पर थे। बड़े भाई राम सिंह, छोटे भाई धनंजय सिंह, मृत्युंजय सिंह भी गांव में रहकर खेती-किसानी करते है। पूरे परिवार की देखरेख का जिम्मा इन्हीं के कंधे पर था। दो बहनों का विवाह हो चुका है। छोटी बहन ज्योति के लिए वर की तलाश की जा रही थी।

ग्रेनेड ब्लास्ट के दौरान हुए शहीद
नगर पंचायत राजेसुलतानपुर के वसुधानगर वार्ड के पोखरभिट्टा के भगवान सिंह जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए बलिदान हो गए। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के मेंढर में ग्रेनेड ब्लास्ट के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए। उनका पार्थिव शरीर सेना के अस्पताल उधमपुर में रखा गया है, जहां से सेना के विमान से वाराणसी लाया जाएगा। इसके बाद वहां से सेना के वाहन से पैतृक गांव लाया जाएगा।

साल 1999 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे भगवान सिंह
पांच राजपूताना राइफइल के जवान भगवान सिंह वर्ष 1999 में भारतीय सेना का हिस्सा बने। पदोन्नत होकर अब वह नायब सूबेदार बने गए थे। वर्ष 2003 में इनका विवाह दीपमाला सिंह के साथ हुआ था। इनके एक पुत्र यशवीर सिंह व पुत्री स्मृति सिंह है। दोनों अभी पढ़ाई कर रहे हैं। भगवान सिंह इसी वर्ष गत आठ जून को अवकाश पर घर आए थे। उनके बलिदान होने की खबर पहुंचने के बाद गांव में मातम का माहौल है। घर पर ढांढस देने वालों का तांता लगा हुआ है।

नहीं पहुंचा कोई प्रशासनिक अधिकारी
बलिदानी की सूचना मिलने के बाद भी अभी तक प्रशासनिक व पुलिस को कोई अधिकारी गांव नहीं पहुंचा है। आलापुर की उपजिलाधिकारी रोशनी यादव ने बताया कि शव आने के बाद मैं गांव जाऊंगी। अभी शव कहां पहुंचा है और अंतिम संस्कार कहां होगा यह सूचना नहीं दी गई है। पिता महेंद्र सिंह ने बताया कि सेना के अधिकारियों से दूरभाष पर हुई बातचीत में बताया गया कि सोमवार की देर शाम सेना का विमान वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचेगा। मंगलवार की सुबह तक शव के गांव पहुंचने की संभावना है। पिता ने बताया कि अंतिम संस्कार घाघरा नदी के कम्हरिया घाट पर होगा।

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