अंतर्राष्ट्रीय

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरेंगे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन; परमाणु पनडुब्बी को लेकर हुई बड़ी डील

वाशिंगटन: चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए (AUKUS Deal) अमेरिका अब इस पर लगाम कसने की तैयारी में है। बता दें कि चीन को तीन तरफ से घेरने का प्लान किया जा रहा है। चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी ताकत आजमा रहा है। इस पर अब अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने परमाणु-संचालित पनडुब्बी (US Australia and Britain nuclear submarine) को लेकर एक बड़े सौदे की घोषणा की है। यह घोषणा तीनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने सैन डिएगो में एक शिखर बैठक में भाग लेने के बाद की है।

तीनों देशों ने किए हस्ताक्षर

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सैन डिएगो में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस और ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ इस डील पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि हम ऑस्ट्रेलिया को मजबूत बनाएंगे और डील के तहत ऑस्ट्रेलियाई कर्मचारियों को बुलाकर ट्रेनिंग देंगे। तीनों नेताओं ने डील के बाद कहा कि ये फैसला केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र को “मुक्त और खुला” रखने के लिए है। AUKUS डील पर बनी सहमति

जानें क्या खास है इस डील में

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ड्रैगन का दबदबा कम करने के लिए ऑस्ट्रेलिया कई परमाणु-संचालित पनडुब्बी अमेरिका से खरीदेगा। इसी के साथ AUKUS डील के तहत ऑस्ट्रेलिया ब्रिटेन (AUKUS Deal) के साथ पनडुब्बियां बनाएगा जो नई तकनीक के साथ विकसित होगी। डील के तहत 2030 के दशक की शुरुआत में, अमेरिका 50 अरब डॉलर की कीमत पर तीन वर्जीनिया-श्रेणी की पनडुब्बियों को ऑस्ट्रेलिया को बेच देगा। यदि आवश्यक हुई तो ऑस्ट्रेलिया 58 अरब डॉलर देकर दो और पनडुब्बियां खरीद सकता है।

क्या है AUKUS डील?

चीन को टक्कर देने योग्य बनाने के लिए ऑस्ट्रेलिया को अमेरिका और यूके AUKUS डील के तहत सुरक्षा कवच देगा। इसके तहत तीनों देश खुफिया जानकारी भी साझा करेंगे। परमाणु-संचालित पनडुब्बियां मिलने के बाद ऑस्ट्रेलिया हिंद-महासागर और दक्षिण चीन सागर पर ताकतवर हो जाएगा।

ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन मिलकर बनाएंगे

डील के तहत ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन एक अलग प्रकार की पनडुब्बियां भी बनाएंगे। SSN-AUKUS के नाम वाली इन पनडुब्बियां दोनों देशों की नौसेना में शामिल होगी। यह पनडुब्बियां यूएस की तकनीक और ब्रिटेन के डिजाइन पर आधारित होगी, जिसमें न्यूक्लियर रिएक्टर और हथियार प्रणाली की क्षमता होगी।

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