सूर्य देव की पूजा से मिलता है Name And Fame, पंचांग अनुसार जानें शुभ-मुहूर्त और आज का राहुकाल
सनातन परंपरा में तीज-त्योहार, शुभ-अशुभ समय जानने के लिए पंचांग की सहायता ली जाती है। पंचांग के अनुसार किसी भी शुभ कार्य या फिर पूजा-पाठ को हमेशा शुभ घड़ी में करना ही फलदायी माना गया है। तेलुगू पंचांग के अनुसार आज हनुमान जयंती है। पंचांग के अनुसार इस समय पंचक भी चल रहा है जो कि 17 मई 2023 तक रहेगा। पंचांग के अनुसार आज भद्रा और राहुकाल भी रहेगा, जिसमें शुभ कार्य नहीं किया जाता है। आइए आज का पूरा पंचांग पढ़ते हैं।
भद्रा, राहुकाल और दिशाशूल का समय
पंचांग के अनुसार जिस भद्रा को अशुभ मानते हुए उसमें कार्य करना मना है, वह आज दोपहर 03:43 से प्रारंभ होकर 15 मई 2023, सोमवार को पूर्वाह्न 02:46 बजे तक रहेगी। इसी प्रकार राहुकाल शाम को 05:22 से शुरु होकर 07:04 बजे तक रहेगा। पंचांग के अनुसार अशुभ समय के साथ अशुभ दिशा का भी विचार करना चाहिए। पंचांग के अनुसार आज रविवार को पश्चिम दिशा में दिशाशूल रहेगा। चूंकि इस समय पंचक चल रहा है, इसलिए इससे जुड़े नियम का पूरा पालन करना चाहिए।
14 मई 2023 का पंचांग
(देश की राजधानी दिल्ली के समय अनुसार)
विक्रम संवत – 2080, नल
शक सम्वत – 1944, शुभकृत्
पर्व | हनुमान जयंती (तेलुगू) |
दिन (Day) | रविवार |
अयन (Ayana) | उत्तरायण |
ऋतु (Ritu) | ग्रीष्म |
मास (Month) | ज्येष्ठ मास |
पक्ष (Paksha) | कृष्णपक्ष |
तिथि (Tithi) | दशमी |
नक्षत्र (Nakshatra) | शतभिषा सुबह 10:16 बजे तक उसके बाद पूर्वा भाद्रपद |
योग (Yoga) | इन्द्र सुबह 06:35 बजे तक तदुपरांत वैधृति |
करण (Karana) | वणिज दोपहर 03:43 बजे तक उसके बाद विष्टि |
सूर्योदय (Sunrise) | प्रात:काल 06:31 बजे |
सूर्यास्त (Sunset) | सायंकाल 07:04 बजे |
चंद्रमा (Moon) | कुंभ राशि में |
राहु काल (Rahu Kaal) | शाम को 05:22 से शुरु होकर 07:04 बजे तक रहेगा |
यमगण्ड (Yamganada) | दोपहर 12:18 से 01:59 बजे तक रहेगा |
गुलिक (Gulik) | दोपहर 03:41 से शाम 05:22 बजे तक रहेगा |
अभिजीत मुहूर्त (Abhijit Muhurt) | सुबह 11:51 से दोपहर 12:45 बजे तक रहेगा |
दिशाशूल (Disha Shool) | पश्चिम दिशा की ओर |
भद्रा (Bhadra) | दोपहर 03:43 से प्रारंभ होकर 15 मई 2023, सोमवार को पूर्वाह्न 02:46 बजे |
पंचक (Pnachak) | 17 मई 2023 को प्रात:काल 07:39 बजे तक जारी |
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)