अपराधग्रेटर नोएडादिल्ली/एनसीआर

सुपरटेक इको विलेज एक पर लगा 1.23 करोड़ का जुर्माना, जानिए क्या है मामला?

सोसाइटी के सीवरेज (sewerage) को शोधित किए बिना बरसाती नाले में गिराने के मामले में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Uttar Pradesh Pollution Control Board) ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ग्रेटर नोएडा क्षेत्रीय कार्यालय ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-1 स्थित सुपरटेक इको विलेज-एक पर 1.23 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया है. शिकायतकर्ता और सोसायटी निवासी मनीष कुमार के मुताबिक प्रदूषण विभाग ने लखनऊ स्थित मुख्यालय को जुर्माना लगाने की संस्तुति भेजी है.

नहीं किया गया मानकों का पालन

शिकायतकर्ता मनीष कुमार ने बताया कि सुपरटेक इको विलेज-एक सोसायटी में करीब पांच हजार फ्लैट हैं. करीब साढ़े चार हजार फ्लैट में लोग रहते हैं.  मानकों के हिसाब से बिल्डर द्वारा दो एसटीपी (STP) लगाने जाने थे. दो की जगह एक ही एसटीपी लगाया गया. इसी साल 1 नवंबर को शिकायतकर्ता, प्रदूषण विभाग और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के जल-सीवर विभाग (water and sewer department) की टीम ने उक्त सोसायटी का निरीक्षण किया था. निरीक्षण के दौरान एसटीपी का पानी नाले में डालते हुए मिला. जिसके बाद बिल्डर पर ये कार्रवाई की गई है.

पहले भी लगा था एक करोड़ का जुर्माना

बता दें कि इससे पहले भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) ने इस बिल्डर पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया था. सुपरटेक ईको विलेज वन सोसाइटी के सीवरेज को बिना शोधित किए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बरसाती नाले में गिराया जा रहा था. अथॉरिटी के सीवर विभाग ने जल प्रदूषण को देखते हुए बिल्डर को सीवरेज का शोधन तत्काल शुरू कराने को कहा था, नहीं मानने पर authority ने सुपरटेक इको विलेज पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया. इसके साथ ही सीवरेज शोधित करने और उस पानी का उचित प्रबंधन करने के निर्देश दिए. कुछ सोसाइटियां ऐसी भी हैं, जिन पर एक से ज्यादा बार भी जुर्माना लग चुका है.

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना अनिवार्य

दरअसल, ग्रेटर नोएडा में 20 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा के एरिया में बनी सभी सोसाइटियों, संस्थानों और प्रतिष्ठानों को खुद का एसटीपी (Sewerage Treatment Plant) लगाना और चलाना जरूरी है. सोसाइटी से निकलने वाले सीवरेज को एसटीपी से शोधित करने के बाद उसका इस्तेमाल सिंचाई, निर्माण आदि कार्यों में होना चाहिए.

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