10 मई 2022 को सुबह 10 बजे चलो मेरठ और मेरठ से राजघाट
गुर्जर प्रतिहार राजवंश के सम्राट हजारों वर्ष पहले अखंड भारत की रक्षा करते-करते सब कुछ राष्ट्र-धर्म पर न्यौछावर कर गए
आज भारत मां की आत्मा कटौच रही होंगी कि जिस गुर्जर क्षत्रिय वंश के कारण हम और हमारी पीढियां अस्तित्व में हैं उनके पुरखों को चुन-चुनकर अपमानित किया जा रहा है कौन नहीं जानता कि अपने नाम से दुनिया में प्रसिद्ध बसेरे बहाने वाली यह महान जाति और इसके लोग दुबक-दुबक कर यायावरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर दिए गए थे
10 मई 1857 को मेरठ से आज़ादी की हूंकार का जयघोष करने वाली गुर्जर जाति अपने बाहुल्यता वाले क्षेत्रों में अंग्रेजों से लोहा लेने लगी, मध्य-उत्तरी-पश्चिमी भारत इस क्रांति से अच्छूता ना रहा।अनगिनत गुर्जर गांवों को ज़ब्त कर,जमीन जायदादों से बेदखल करके गांव के गांव तोपों से उड़ा दिए गए क्रांतिकारी गुर्जरों को सरेराह फांसी पर लटका दिया गया।
उन्हीं अनाम और अनजाने शहीदों की खोज में हम निकले हैं
आओ 10 मई 2022 को सुबह 10 बजे हम गुर्जर समाज के लोग मेरठ में शहीद धनसिंह गुर्जर (कोतवाल) की प्रतिमा के नीचे सिर झुका कर उनकी शहादत को नमन करेंउसी दिन हमारी “गुर्जर-ए-शहीद-ए आजम”यात्रा दिल्ली के राजघाट पर शाम 5 बजे समाप्त होगी। क्रांतिकारियों के मौजूदा वंशजों को सम्मानित कर हम अपना कुछ बोझ हल्का करें,इस मुहिम से सरकारें गुर्जर क्रांतिकारियों को शायद पाठ्यक्रमों में जगह देने के लिए पुनर्विचार करें