हिंसक मोबाइल गेम का बच्चों के दिमाग पर पड़ रहा बुरा असर, जानिए पैरेंट्स किस तरह से रहें अलर्ट
नई दिल्ली: छोटी-छोटी बातों पर आज के बच्चे और किशोर इतना जल्द रिएक्ट कर रहे हैं कि वो मर्डर जैसे संगीन जुर्म करने से भी नहीं डर रहे। लखनऊ में ऐसी ही एक घटना देखने को मिली, जिसमें एक 16 वर्षीय किशोर ने सिर्फ इसलिए अपनी मां की हत्या कर दी क्योंकि उसने उसे पबजी खेलने से उसे रोका था। हत्या करने के बाद वो अपनी मां के लाश के पास तीन दिन तक बैठा भी रहा। तो आप सोच सकते हैं किस कदर खतरनाक है मोबाइल का एडिक्शन। तो आज हम इस लेख में जानेंगे कि गेमिंग की लत लगने से बच्चों में किस तरह के बदलाव आते हैं, बच्चों के गुस्से को कैसे कंट्रोल करें, साथ ही पेरेंट्स को भी किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
गेमिंग की लत से बच्चों में आ रहे हैं ये बदलाव
– चिड़चिड़ाना या गुस्सा करना
– अकेले रहने लगना
– पढ़ाई, काम में परफॉर्मेंस कम होना
– रूटीन के काम न करना
बच्चों के गुस्से पर कैसे करें कंट्रोल?
1. बच्चे के गुस्से को शांत करने के लिए सबसे जरूरी है उसकी वजह जानना फिर उसके हिसाब से उससे बात करें।
2. अगर आपका बच्चा बिना किसी वजह से गुस्से में है तो उसे थोड़ी देर अकेला छोड़ देना भी एक अच्छा उपाय होता है।
3. दोस्तों से अलग होने या घर बदलने के कारण भी कई बच्चे गुस्से में आ जाते हैं तो आप उनसे प्यार से बात करें और उन्हें दोस्त बनाने में मदद करें।
4.बच्चे को कभी मारें नहीं, इससे वह और ज्यादा चिड़चिड़े हो सकते हैं।
5. अगर बच्चे को कोई बीमारी है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और इलाज करवाएं।
पेरेंट्स दें ध्यान
– मोबाइल यूज करने का समय निश्चित करें।
– मोबाइल में किसी भी तरह का गेम न रखें।
– बच्चों से उनके डेली एक्टिविटीज़ के बारे में बात करें।
– आउटडोर गेम्स खेलने जरूर भेजें।
– गेम खेलने के समय में किसी दूसरे काम से बच्चे का ध्यान डायवर्ट करें।
– अपनी अपेक्षाएं न थोपें, समझाने की कोशिश करें।
– बिहेवियर में चेंज नजर आता है तो साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
– घर में लगे वाई-फाई की स्पीड कम रखें।
ये तरीके भी अपना सकते हैं
– मोबाइल स्क्रीन कंट्रोल तय कर सकते हैं कि बच्चे कितने टाइम तक मोबाइल देख सकते हैं।
– टाइम सेट करने के बाद मोबाइल की स्क्रीन लॉक हो जाएगी।
– स्क्रीन कंट्रोल के लिए कई मोबाइल एप भी प्ले स्टोर पर अवेलेबल हैं।