केंद्रीय सहकारिता व गृह मंत्री अमित शाह बोले, सहकारिता के क्षेत्र में होंगे बड़े बदलाव, नई नीति जल्द
देश के पहले सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता के जरिये ही देश के समग्र विकास और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना साकार हो सकती है। उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन को पूरे देश में फैलाने के लिए केंद्र सरकार जल्द एक सहकारिता नीति लागू करेगी। उन्होंने कहा कि प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां सहकारिता की आत्मा है, केंद्र सरकार इन्हें कंप्यूटरीकृत कर जिला सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक और नाबार्ड से जोड़ेगी। शुक्रवार को राजधानी लखनऊ स्थित राजकीय पालीटेक्निक में आयोजित सहकार भारती के सातवें राष्ट्रीय अधिवेशन में अमित शाह ने कहा कि सहकार भारती को संगठन की गतिविधियों का विस्तार करते हुए ऐसी व्यवस्था विकसित करनी चाहिए ताकि आगामी 10-15 साल में देश के प्रत्येक गांव में सहकारिता की एक शाखा अवश्य हो। उन्होंने कहा कि अब सहकारिता के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा और प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा की मौजूदगी में राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि सहकारिता को भारत की आत्मा के साथ जोड़ते हुए उसे नई दिशा के साथ गति देना सहकारिता मंत्रालय की बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सहकारिता का देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है। कृषि वित्त में 19 से 22 प्रतिशत, खाद के वितरण में 35 प्रतिशत, खाद के उत्पादन में 25 प्रतिशत, चीनी के उत्पादन में 31 प्रतिशत, दूध की खरीद और उत्पादन में 20 प्रतिशत, गेहूं की खरीद में 20 प्रतिशत और धान की खरीद में 20 प्रतिशत योगदान है। उन्होंने कहा कि देश में लिज्जत पापड़, अमूल और इफ्को जैसी संस्थाएं सहकारिता की सफलता के बड़े प्रमाण है। उन्होंने कहा कि सहकारी संस्थाओं को अर्जित होने वाली आय किसी व्यक्ति की जेब में नहीं जाती बल्कि उसमें काम करने वाले लोगों के बैंक खाते में जमा होती है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देने में भी सहकारिता का बड़ा योगदान है। इसके जरिये छोटे छोटे लोगों के समूह को सम्मान दिलाकर उनकी आय बढ़ाई जा सकती है।
अमित शाह ने कहा कि देश के अनेक प्रदेशों में आती-जाती सरकारों के कारण सहकारिता आंदोलन लगभग समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि सहकार भारती को ऐसे राज्यों में सहकारिता का विस्तार करना चाहिए। इसके लिए सहकारिता की दृष्टि से विकसित राज्य, विकासशील राज्य और अविकसित राज्य की श्रेणी बनाकर कार्य योजना तैयार करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सहकारी संस्थाओं में पारदर्शी चुनाव, नियमित ऑडिट, सदस्यता और भ्रष्टाचार समाप्त करने की दिशा में काम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सहकारिता की शक्ति के साथ उसकी सुगंध बढ़ाना भी आवश्यक है।
अमित शाह ने कहा कि सहकारिता में प्राथमिक सदस्यों का प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक है। सरकार जल्द ही सदस्यों के प्रशिक्षण की नीति भी बनाने जा रही है। सदस्यों के प्रशिक्षण से ही समिति पर नियंत्रण और सदस्यों को जिम्मेदार बनाना संभव है।
अमित शाह ने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने के लिए विशेषज्ञों की एक टास्क फोर्स काम कर रही है। उन्होंने कहा कि टास्क फोर्स जल्द मसौदा पेश करेगी। उन्होंने कहा कि सहकारिता के जरिये प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने सहकारिता में ब्याज बढ़ाने के लिए भी प्रयास करना होगा।
अमित शाह ने कहा कि सहकार भारती को सहकारिता की समस्याओं के साथ उनके निस्तारण का सुझाव भी सरकार को देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां जहां सहकारी आंदोलन निर्बल हो रहा है उसे मजबूत करने के लिए सहकार भारती नीतिगत मसौदा बनाकर देगी तो सरकार उसे लागू करने का प्रयास करेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सहकारिता की नींव जिन प्रदेश में मजबूत होनी चाहिए थी लेकिन वहां राजनीतिक कारणों से माफिया के खूनी पंजे में जकड़कर रह गई और बाहर नहीं निकल पा रही है। उन्होंने कहा कि सहकार भारती का सातवां अधिवेशन देश में सहकारिता को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सहकार भारती के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों, पशुपालकों, बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और अन्य संस्थाओं को सकारात्मक सोच के साथ जोड़कर काम करेंगे तो अधिवेशन का उद्देश्य पूरा होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारिता भारत की आत्मा है। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत के गांवों में होने वाली यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठान सहकारिता का सबसे आदर्श प्रमाण है। उन्होंने कहा कि सहकार के बिना संस्कार नहीं है और संस्कार के बिना सहकार नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि संस्कार है तो संस्कृति है और संस्कृति है तो राष्ट्र की एकता और अखंडता की गारंटी है।