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Bilkis Bano Case के लिए आज का दिन बेहद अहम, दोषियों के रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर होगी सुनवाई

बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई देने वाले गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे दो दिन पहले यानी शनिवार को केस के एक दोषी शैलेश चिमनलाल भट्ट को बीजेपी सांसद जसवंत सिंह भाभोर और MLA शैलेश भाभोर के साथ मंच पर देखा गया। हर घर जल योजना से जुड़ा कार्यक्रम सरकार की ओर से कराया गया था।

बता दें कि आज मामले की सुनवाई जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की डिवीजन बेंच करेगी। इससे पहले दिसंबर 2022 में मामले की सुनवाई करने वाली बेंच से जज बेला माधुर्य त्रिवेदी ने अपना नाम अलग कर लिया था। इसी वजह से सुनवाई टाल दी गई थी।

15 अगस्त को रिहा किए गए थे रेप के दोषी

बानो की वकील शोभा गुप्ता ने नई बेंच बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से कई बार अपील की। नई बेंच बनाने की बार-बार अपील करने पर CJI भड़क गए थे। उन्होंने कहा था कि मामले में जल्द सुनवाई नहीं होगी, परेशान न करें। इसके बाद 22 मार्च को कोर्ट ने बताया कि नई बेंच सुनवाई के लिए तैयार है।

दरअसल, 2002 के गोधरा कांड के दौरान बिलकिस बानो से रेप और उसके परिवार के लोगों की हत्या के दोषियों को पिछले साल 15 अगस्त को समय से पहले रिहा कर दिया गया था। इसी के खिलाफ बानो ने 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

बिलकिस ने दाखिल की थीं दो याचिकाएं

बिलकिस बानो ने 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की थी। वहीं, दूसरी याचिका में कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। इस पर बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है?

मामले में महुआ मोइत्रा में याचिका दाखिल कर चुकी हैं

इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कुछ जनहित याचिकाएं दाखिल कर दोषियों की रिहाई पर फिर विचार करने की मांग की गई थी। ये याचिकाएं नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन, पत्रकार रेवती लाल और TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने दाखिल की थीं।

गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में बिलकिस का गैंगरेप हुआ

गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़के थे। दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं। तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं।

दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया। उनकी मां और तीन और महिलाओं का भी रेप किया गया। इस दौरान हमलावरों ने बिलकिस के परिवार के 17 सदस्यों में से 7 लोगों की हत्या कर दी। वहीं, 6 लोग लापता हो गए, जो कभी नहीं मिले। हमले में सिर्फ बिलकिस, एक शख्स और तीन साल का बच्चा ही बचे थे।

जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने दी थी सजा

हादसे के समय बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे गर्भवती थीं। दंगों में उसके परिवार के 6 सदस्य जान बचाकर भागने में कामयाब रहे। गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी।

गुजरात दंगों में मारे गए थे 750 मुसलमान

27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच में भीड़ ने आग लगा दी थी। इसमें अयोध्या से लौट रहे 57 कारसेवकों की मौत के बाद दंगे भड़क गए थे। दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। इनमें ज्यादातर मुसलमान थे। केंद्र सरकार ने मई 2005 में राज्यसभा में बताया था कि गुजरात दंगों में 254 हिंदू और 750 मुसलमान मारे गए थे।

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