चीन-रूस नौसेना साझेदारी को और गहरा करने के लिए एक साथ करेंगे सैन्य अभ्यास, जानिए क्या है उद्देश्य
रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि रूस की नौसेना पूर्वी चीन सागर में चीनी नौसेना के साथ साझा सैन्य अभ्यास करेगी. मंत्रालय ने सोमवार (19 दिसंबर) को कहा, यह अभ्यास 21 से 27 दिसंबर के बीच होगा. रूसी नौसेना के पैसिफिक फ्लीट के फ्लैगशिप और फ्रिगेट जहाजों को हिस्सा लेना है. रूस ने बताया कि चीन जहाजों के साथ दो विध्वंसक भी भेजेगा.
इस अभ्यास में कथित तौर पर संयुक्त पनडुब्बी रोधी युद्ध और मिसाइल लॉन्च के लिए प्रशिक्षण शामिल होगा. मंत्रालय ने बताया है, इस अभ्यास का उद्देश्य एशियाई प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों नौसेनाओं के बीच सहयोग को मजबूत करना है.
चीन ने अपनी योजना नहीं बताई
हालांकि चीन ने अभी तक अपनी योजना की घोषणा नहीं की है. दोनों देशों की वायु सेनाओं ने पिछले महीने जापान सागर और पूर्वी चीन सागर सहित अन्य समुद्री क्षेत्रों में संयुक्त हवाई गश्ती की थी. पर्यवेक्षकों का कहना है, उनके बढ़ते सैन्य सहयोग का उद्देश्य संयुक्त राज्य अमेरिका को नियंत्रण में रखना हो सकता है.
भारत ने भी किया था इसी तरह का युद्धाभ्यास
इससे पहले भारत और अमेरिका की सेनाएं अक्टूबर के महीने में उत्तराखंड के औली में हाई-ऑल्टिट्यूड मिलिट्री एक्सरसाइज किया था. भारत और अमेरिकी की सेनाओं के बीच साझा युद्धाभ्यास का वह 15वां मौका था. भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच सालाना मिलिट्री एक्सरसाइज होती है जिसे ‘युद्धाभ्यास’ के नाम से जाना जाता है. पिछले साल ये युद्धाभ्यास अमेरिका के अलास्का में किया गया था.
दोनों सेनाएं ने साझा किया था अनुभव
भारत और चीन के बीच एलएसी 10 हजार से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर ही है. गलवान घाटी जहां साल 2020 में भारत और चीन की सेनाओं में झड़प हुई थी वो भी करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई पर है. युद्धाभ्यास के जरिए भारत अपनी हाई एल्टिट्यूड मिलिट्री वॉरफेयर की रणनीति अमेरिका से साझा भी किया था.