TMC नेता महुआ मोइत्रा ने फेमा से संबंधित खबर मीडिया में लीक न करने की मांग की, कोर्ट ने रखा फैसला सुरक्षित
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की उस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है, जिसमें उनके खिलाफ जांच के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) से संबंधित किसी भी गोपनीय, असत्यापित जानकारी को मीडिया में लीक करने से रोकने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। मामले पर 23 फरवरी 2024 को फैसला सुनाया जाएगा।
मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा कि लंबित जांच से संबंधित संवेदनशील जानकारी उन्हें बताए जाने से पहले मीडिया में लीक होना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित उनके अधिकारों के लिए हानिकारक है। अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल को परेशान किया जा रहा था और एजेंसी द्वारा उन्हें समन जारी करने की जानकारी उन्हें मिलने से पहले ही मीडिया द्वारा प्रकाशित कर दी गई थी। अधिवक्ता ने कहा कि भले ही उन्हें उनके मुवक्किल को समन 20 फरवरी को जारी किया गया था, लेकिन इसके संबंध में समाचार लेख 19 फरवरी से प्रकाशित होने लगे।
‘मीडिया लंबे से ही स्रोतों के आधार पर रिपोर्टिंग करता रहा’
अदालत ने टिप्पणी की कि यह एक खबर है। आप एक सार्वजनिक व्यक्ति हैं। यह केवल एक तथ्यात्मक दावा है। फिलहाल ऐसा कुछ भी नहीं है। एएनआई की ओर से पेश अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने अदालत को बताया कि याचिका में की गई प्रार्थनाओं का मुक्त भाषण पर भयानक प्रभाव पड़ता है और समाचार एजेंसी स्रोत आधारित जानकारी प्रकाशित करने की हकदार है। अधिवक्ता ने कहा कि मीडिया लंबे से ही स्रोतों के आधार पर रिपोर्टिंग करता रहा है। उससे बड़े पैमाने पर घोटाले उजागर होते हैं।
ईडी ने कहा- कोई जानकारी नहीं हुई लीक
वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत को बताया कि उसने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत महुआ मोइत्रा के खिलाफ जांच के संबंध में कोई प्रेस विज्ञप्ति नहीं दी है या मीडिया में कोई जानकारी लीक नहीं की है। अधिवक्ता ने कहा कि ईडी को लंबित जांच के संबंध में मीडिया घरानों द्वारा प्रकाशित समाचार लेखों के स्रोतों के बारे में जानकारी नहीं है। मोइत्रा ने 19 मीडिया घरानों को उनके खिलाफ लंबित जांच के संबंध में किसी भी असत्यापित, अपुष्ट, झूठी, अपमानजनक सामग्री को प्रकाशित और प्रसारित करने से रोकने की भी मांग की है।