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RBI ने किया सर्वे तो सामने आई यह सच्चाई- लोगों को..

 नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने इसी सप्ताह हुई बैठक में ब्याज दरों में यह मानते हुए बदलाव नहीं किया कि महंगाई का खतरा कम हो गया है। लेकिन उसी घोषणा के दिन भारतीय रिजर्व बैंक ने एक सर्वे की रिपोर्ट जारी की, जिसमें आम लोगों को महंगाई का डर सता रहा है। इस वर्ष सितंबर में हुए सर्वे के मुकाबले नवीनतम सर्वे में ऐसा मानने वालों की संख्या बढ़ी है कि अगले एक वर्ष के दौरान महंगाई की स्थिति बिगड़ने वाली है। उस समय महंगाई बढ़ने बात करने वालों का सूचकांक 90.6 पर था जो नवीनतम सर्वे में 94.5 पर है। एक वर्ष बाद महंगाई में वृद्धि की आशंका जताने वालों का सूचकांक भी सितंबर के 64.4 से बढ़कर 66.6 हो गया है। महंगाई का खतरा बढ़ने की आशंका जताने वालों की संख्या वर्ष 2014 के बाद से इस बार सबसे अधिक है।

हालांकि, आम जनता के बीच महंगाई का इतना ज्यादा डर होने की बात आरबीआइ की नीतिगत फैसलों में नहीं दिखी। आरबीआइ गवर्नर डा. शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में महंगाई की दर के पांच प्रतिशत से भी नीचे आने की बात कही है। आरबीआइ का यह सर्वे देश के 13 बड़े महानगरों में होता है। इसमें आय, महंगाई और इकोनमी की स्थिति को लेकर 5,300 से अधिक घरों की राय ली जाती है।

आरबीआइ का कहना है कि वह मौद्रिक नीति समीक्षा में इस सर्वे के नतीजों का ध्यान रखता है। मौद्रिक नीति समीक्षा की तरह यह सर्वे भी हर दो महीने में होता है। इस बार महंगाई का खतरा बढ़ने की आशंका जताने वालों की संख्या बढ़ी है। उन लोगों की संख्या बढ़ी है जो मानते हैं कि आने वाले महीनों में उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने वाली है। रोजगार के अवसर बढ़ने को लेकर संकेत अच्छे नहीं है।

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