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Digital Rupee की शुरुआत एक ऐतिहासिक कदम, भुगतान के तौर-तरीकों में साबित होगा मील का पत्थर

आरबीआई के कार्यकारी निदेशक अजय कुमार चौधरी ने कहा, डिजिटल रुपये की शुरुआत एक ऐतिहासिक कदम है। यह आगे चलकर मील का पत्थर साबित होगा। इससे न सिर्फ मुद्रा प्रणाली के सिस्टम में दक्षता आएगी बल्कि  वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, डिजिटल रुपया भुगतान के तरीके में नया लचीलापन देगा और विदेश में होने वाले भुगतान को भी बढ़ावा देगा। यह उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करते हुए जनता को नया अनुभव देगा।

ग्रीन फाइनेंस का वर्गीकरण समय की जरूरत: राव

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने ‘ग्रीनवॉशिंग’ के जोखिम से बचने के लिए ग्रीन फाइनेंस के वर्गीकरण का आह्वान किया। ग्रीन फाइनेंस का मतलब पर्यावरणीय रूप से स्थायी आर्थिक गतिविधियों को कर्ज देने से है। राव ने कहा, वर्गीकरण के साथ हरित वित्त की औपचारिक परिभाषा समय की जरूरत है। यह भारत में हरित क्षेत्रों में वित्त प्रवाह की अधिक सटीक ट्रैकिंग को सक्षम करेगा।

कर संग्रह बढ़ाने को छोटे शहरों पर हो जोर

कर संग्रह बढ़ाने के लिए सरकार को बजट में छोटे शहरों पर जोर देना चाहिए। खासकर टीयर 2 कस्बों और शहरों में संग्रह के लिए मजबूत रणनीति बनानी चाहिए। आर्थिक वृद्धि को गति देने और विकासात्मक गतिविधियों में निवेश करने के लिए सरकार को कर राजस्व बढ़ाना चाहिए। खराब अनुपालन कर संग्रह की कमी में बड़ा कारण है। साथ ही अत्यधिक टैक्स, जटिल व्यवस्था, बढ़ती मुकदमेबाजी जैसी बाधाएं भी इनमें शामिल हैं। थिंक चेंज फोरम  के कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने यह सुझाव दिया। इसमें सरकार एंड एसोसिएट्स के मालिक स्वपन सरकार, चिलाना एंड चिलाना लॉ ऑफिसर्स के मैनेजिंग पार्टनर संदीप चिलाना, सीबीआईसी के पूर्व चेयरमैन पीसी झा, फोरम के सलाहकार डॉ. संजय बारू और पब्लिक फाइनेंस एक्सपर्ट एस रामकृष्णन शामिल थे। इन लोगों ने कहा, उपकर और अधिभार को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहिए।

दो साल तक कॉरपोरेट कराधान में न करें बदलाव

एस रामकृष्णन ने कहा, वर्तमान कॉरपोरेट कराधान में कम से कम अगले दो वर्षों तक बदलाव नहीं करना महत्वपूर्ण है। क्योंकि कई कॉर्पोरेट अभी भी महामारी के प्रभाव से उबरने में लगे हैं। सरकार को पेंशन योजना को संशोधित करने और इसे 50,000 रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये करना चाहिए।

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