उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी पेपर लीक) प्रश्न-पत्र लीक कांड में जांच का दायरा राज्य से बाहर बढ़ाती जा रही है. क्योंकि अब उसे इसकी जरूरत महसूस होने लगी है. हालांकि राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स अब तक बिचौलियों, दलालों सहित 18 लोगों को खुद ही गिरफ्तार कर चुकी है. अब जब एसटीएफ को महसूस हुआ कि जांच का दायरा राज्य तक ही सीमित नहीं रह सकेगा तो उसने, केंद्रीय एजेंसियों की मदद मांगी है.
बुधवार रात टीवी9 भारतवर्ष से बात करते हुए इसकी पुष्टि खुद टीम को लीड कर रहे एसएसपी एसटीएफ उत्तराखंड अजय सिंह ने की. राज्य के एसटीएफ प्रमुख ने आगे कहा, नकल माफियाओं को नेस्तनाबूद करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों की मदद अब बेहद जरूरी लगी तो, उनसे मदद मांगी जा रही है. ताकि आगे की तफ्तीश कहीं किसी भी नजरिए से कमजोर न रह जाए. कमजोर तफ्तीश का नाजायज फायदा मुलजिम हमेशा उठाने की जुगत में रहते हैं.
‘गवाहों की जान को हो सकता है खतरा’
यहां यह भी बताना जरूरी है कि इस मामले के भंडाफोड़ के बाद अब तक एसटीएफ, संबंधित न्यायालय में पंद्रह अहम गवाहों के बयान भी कलमबद्ध करा चुकी है. ताकि कोर्ट में आरोपियों को किसी भी तरह से कोई छूट मिल पाने की कोई गुंजाइश ही बाकी न बचे. इन सभी गवाहों की जानकारी सिवाए एसटीएफ और कोर्ट के किसी को नहीं है. क्योंकि इससे गवाहों की जान को खतरा पैदा हो सकता है. एसटीएफ ने फिर भी एहतियाती तौर पर गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराने की सोची है. ताकि उनकी जान को कहीं कोई खतरे की गुंजाइश ही बाकी न रहे.
बड़ी रकम का लेनदेन आखिर कैसे हुआ?
क्योंकि कोर्ट में मुकदमे के ट्रायल के दौरान गवाहों की गवाही पर काफी कुछ निर्भर करेगा. अभी तक गिरफ्तार कुछ अभियुक्तों के पेपर लीक मध्यम से, काफी संपति अर्जित करने के तथ्य प्रकाश में आ रहे हैं. साथ ही 83 लाख नकद बरामदगी भी हुई है. इस सबके मद्देनजर, यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले की एफआईआर के साथ प्रारंभिक रिपोर्ट एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट को भेजी जा रही है. ताकि ईडी इस बात की गहराई से तफ्तीश कर सके कि, इतनी बड़ी रकम का लेनदेन आखिर कैसे हो सका? साथ ही इस रकम को कहां लगाया गया? रकम कैसे मुलजिमों-दलालों बिचौलियों तक पहुंचाई गई? उत्तराखंड राज्य एसटीएफ की माने तो, ईडी गिरफ्तार आरोपियों की संपत्तियों के बारे में भी कागजात खंगाल सकती है.