अदाणी-हिंडनबर्ग विवाद: SEBI ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी मोहलत, जांच में लग सकता है 6 माह का समय
मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) ने अदानी ग्रुप द्वारा शेयरों की कीमत में हेराफेरी और नियामक प्रकटीकरण में चूक के आरोपों की जांच पूरी करने की समयसीमा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सेबी ने जांच की समयसीमा 6 महीने बढ़ाने का अनुरोध किया है. शीर्ष अदालत ने 2 मार्च को सेबी से कहा था कि वह दो महीने के भीतर मामले की जांच पूरी करे. इसके साथ ही अदालत ने भारतीय निवेशकों की सुरक्षा के लिए एक समिति का गठन भी किया था.
सुप्रीम कोर्ट से मांगा 6 महीने का समय
अमेरिकी शॉर्टसेलर ने अपनी रिपोर्ट में अदानी ग्रुप पर हेराफेरी से शेयरों की कीमत बढ़ाने का आरोप लगाया था. ग्रुप ने इन सभी आरोपों को निराधार बताया है. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक आवेदन में सेबी ने कहा, वित्तीय गलत बयानी, विनियमों की धोखाधड़ी या लेनदेन की धोखाधड़ी से संबंधित संभावित उल्लंघनों का पता लगाने की कार्रवाई को पूरा करने में 6 और महीने लगेंगे.
24 जनवरी को आई थी निगेटिव रिपोर्ट
बता दें कि 24 जनवरी को अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग ने अदानी ग्रुप (Adani Group-Hindenburg) के खिलाफ एक निगेटिव रिपोर्ट छापी थी. इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अदानी ग्रुप के शेयरों में बड़े स्तर पर छेड़छाड़ हो रही है और गौतम अदानी विदेशी रूट्स के जरिए अपनी कंपनी में पैसा लगा रहे हैं. हालांकि अदानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का खंडन किया था और सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था.
Hindenburg Research ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप से 88 सवाल उठाए थे. इस रिपोर्ट में अदानी ग्रुप से पूछा गया है कि गौतम अडानी के छोटे भाई राजेश अडानी को ग्रुप का एमडी क्यों बनाया गया है? उनके ऊपर कस्टम टैक्स चोरी, फर्जी इंपोर्ट डॉक्यूमेंटेशन और अवैध कोयले का इंपोर्ट करने का आरोप है. हिंडनबर्ग ने पूछा है कि गौतम अदानी के बहनोई समीरो वोरा का नाम डायमंड ट्रेडिंग स्कैम में आने के बाद भी अडानी ऑस्ट्रेलिया डिवीजन का एक्जक्यूटिव डॉयेरक्टर क्यों बनाया गया है? ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब अब तक अदानी ग्रुप ने नहीं दिया है.