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अविश्वास प्रस्ताव से पहले रुद्रप्रयाग जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह ने दिया इस्तीफा

रुद्रप्रयाग: जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. जिला पंचायत के 14 सदस्यों ने जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया था. जिसके बाद कल जिला पंचायत सभागार में फ्लोर टेस्ट होना था, मगर उससे पहले ही आज जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह ने जिलाधकारी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया जिला पंचातय अध्यक्ष का इस्तीफा शासन को भेजा जायेगा. इधर, जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह ने इस्तीफे का कारण पारिवारिक व्यस्तता एवं अस्वस्थता बताई है.

बता दें, जिले में लंबे समय से जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास लाने का विषय चर्चाओं में था. लेकिन किसी को यह मालूम नहीं था कि रात के अंधेरे में डीएम के कैंप ऑफिस पहुंचकर असंतुष्ट सदस्य डीएम को अविश्वास प्रस्ताव सौंप देंगे. बीते कुछ दिन पहले रात करीब करीब साढ़े आठ बजे 14 असंतुष्ट सदस्यों ने डीएम मयूर दीक्षित से मुलाकात की. जिसके बाद उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सौंपा. इन सदस्यों में चार भाजपा के सदस्य भी शामिल हैं. इनमें दो भाजपा से अधिकृत किये गये थे, जबकि दो जिला संगठन में महत्वपूर्ण पदों में विराजमान हैं.

जिला पंचायत सदस्य सविता भंडारी सारी से सदस्य हैं और भाजपा संगठन में जिला उपाध्यक्ष के पद पर भी हैं. जिला पंचायत सदस्य रीना बिष्ट परकंडी से सदस्य हैं और महिला मोर्चा में जिला मंत्री के पद पर हैं. इसके अलावा जिला पंचायत सदस्य सतेरा वार्ड से भूपेन्द्र लाल व जिला पंचायत सदस्य खलियाण वार्ड से मंजू सेमवाल भाजपा अधिकृत प्रत्याशी रहे हैं. जिला पंचायत उपाध्यक्ष और सदस्य भीरी सुमंत तिवाड़ी, जिला पंचायत सदस्य त्रियुगीनारायण बबीता देवी, गुप्तकाशी गणेश तिवारी, कालीमठ विनोद राणा, स्यूर रेखा देवी, खलियाण कुसुम देवी, सुमाड़ी ज्योति देवी, कंडारा सुमन सिंह, सिल्ला बागणगांव कुलदीप सिंह, खांकरा नरेन्द्र सिंह बिष्ट के भी अविश्वास प्रस्ताव में हस्ताक्षर शामिल थे.

पहले भी लाया गया अविश्वास प्रस्ताव: गौतलब है कि भाजपा सरकार में यह दूसरी बार है जब जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सौंपा गया. इससे पहले खंडूड़ी सरकार में भाजपा के तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर चर्चाएं थी. तब 12 से 14 सदस्य अध्यक्ष की कार्यप्रणाली से नाराज चल रहे थे. उस समय चंडी भट्ट ने सूझबूझ का परिचय देते हुए सदस्यों को मनाने में सफल रहे और उनका कार्यकाल पूरे पांच साल चला, मगर इस बार अमरदेई शाह ऐसा करने में सफल नहीं हुई.

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