धोखाधड़ी कर जीएसटी में 452 करोड़ रुपये आइटीसी लेने वाले गिरोह का खुलासा, एफआइआर दर्ज कर होगी वसूली
लखनऊ के विभूतिखंड पुलिस ने मृत व्यक्ति के दस्तावेज लगा कर बैंक व फाइनेंस कम्पनी से लोन कराने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपी निजी इंश्योरेंस कम्पनी में काम कर चुके हैं। जिनके पास से जाली पैन कार्ड, आधार कार्ड और तीन बैंकों के एटीएम कार्ड मिल हैं।
एडीसीपी पूर्वी सै. अली अब्बास ने बताया कि रायबरेली न्यूराना नगर निवासी मृगांक सहाय और रायबरेली मिल एरिया निवासी अभिषेक भारती को विभूतिखंड से गिरफ्तार किया गया है। मृगांक ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण कई लोगों की असमय मौत हुई थी। ऐसे में इंश्योरेंस क्लेम भी काफी बढ़ गए थे। इंश्योरेंस कम्पनी से काफी वक्त तक काम करने के कारण उसे और अभिषेक को डाटा आसानी से मिल जाता था। ऐसे में दोनों मिल कर मृत व्यक्तियों के आधार और पैन कार्ड की डिटेल हासिल कर लेते थे। जिसका इस्तेमाल करते हुए नए दस्तावेज बनाए जाते थे। इन दस्तावेजों में नाम और पता मृत व्यक्ति का होता है। वहीं, फोटो आरोपी अपनी लगाते थे। जिन्हें कम्प्यूटर से एडिट कर तैयार किया जाता था। पूछताछ में यह भी पता चला कि लोन स्वीकृत होने के बाद वह लोग बैंक जाने के बजाय ऑनलाइन रकम दूसरों खातों में भेजते थे। यह बैंक अकाउंट भी जाली दस्तावेजों के जरिए खुलवाए गए थे। एक बार खाते में रकम आने पर एटीएम का इस्तेमाल कर रुपये मृगांक और अभिषेक निकाल लेते थे।
ऐसे खुली ठगों की करतूत
विभूतिखंड कोतवाली में एचडीएफसी बैंक के उपप्रबंधक अतुल भारती ने मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें विवेश कुमार श्रीवास्तव पर धोखाधड़ी करते हुए 20 लाख का व्यक्तिगत लोन पास कराने की बात कही गई। एडीसीपी के मुताबिक मुकदमे की जांच किए जाने पर मृत व्यक्तिों के दस्तावेज में हेरफेर कर लोन कराए जाने की बात सामने आई। बैंक अकाउंट के ट्रांजेक्शन को ट्रैक करने और दस्तावेज में लगी फोटो का मिलान कराए जाने पर मृगांक और अभिषेक की संलिप्ता सामने आई। जिसके आधार पर दोनों को गिरफ्तार किया गया। एडीसीपी के मुताबिक 50 लाख रुपये की ठगी करने की बात साबित हो चुकी है। आरोपियों ने विभिन्न बैंकों में लोन के लिए आवेदन किया हुआ है।