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Revealed in the NCRB report: देश की इन जेलों में बंद है विदेशी कैदी, बांग्लादेशी कैदियों की संख्या है सबसे ज्याद

नई दिल्ली: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 के अंत तक भारतीय जेलों में बंद विदेशी मूल के हर दस में से सात कैदी विचाराधीन थे, जिनमें से लगभग आधे अकेले बांग्लादेश के थे. हाल ही में जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ‘प्रिजन स्टैटिस्टिक्स इंडिया 2020′ रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में भारतीय जेलों में कुल 4,926 विदेशी कैदी मौजूद थे जबकि 2018 में यह आंकड़ा 5,157 और 2019 में 5,203 था. गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले एनसीआरबी ने बताया कि 2020 के अंत में देशभर की जेलों में कैद भारतीय कैदियों की संख्या 4.83 लाख थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘2020 के अंत में मौजूद कुल 4,926 विदेशी कैदियों में 4,135 पुरुष और 791 महिलाएं थीं. इन कैदियों में 23.1 फीसदी (1,140 कैदी) अपराधी करार दिए जा चुके थे, जबकि 70.4 प्रतिशत (3,467 कैदी) विचाराधीन थे और 0.8 फीसदी (41 कैदी) हिरासत में रखे गए थे.’

रिपोर्ट के अनुसार, ‘2020 के अंत में भारतीय जेलों में सबसे ज्यादा विदेशी कैदी बांग्लादेश (46.4 फीसदी, 529 कैदी), नेपाल (18.1 फीसदी, 206 कैदी), नाइजीरिया (8.2 फीसदी, 94 कैदी) और म्यांमार (7.3 फीसदी, 83 कैदी) से थे.’

एनसीआरबी के मुताबिक, 2020 के अंत में पश्चिम बंगाल की जेलों में सबसे ज्यादा 466 (40.9 प्रतिशत) विदेशी कैदी बंद थे, जबकि उत्तर प्रदेश (127 कैदी, 11.1 प्रतिशत) इस मामले में दूसरे और दिल्ली (73 कैदी, 6.4 प्रतिशत) तीसरे स्थान पर थी.

रिपोर्ट से पता चलता है, ‘विदेशी मूल के विचाराधीन कैदियों में सर्वाधिक बांग्लादेश (47 प्रतिशत, 1,630 कैदी) के थे. नाइजीरिया (17.7 प्रतिशत, 615 कैदी) इस मामले में दूसरे और नेपाल (13.4 प्रतिशत, 463 कैदी) तीसरे स्थान पर था.’

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020 के अंत में पश्चिम बंगाल ने अपनी जेलों में विदेशी मूल के सर्वाधिक 1,295 विचाराधीन कैदी (37.4 फीसदी) बंद होने की जानकारी दी है, जिसके बाद दिल्ली (400 कैदी, 11.5 फीसदी) और महाराष्ट्र (380 कैदी, 11 फीसदी) का स्थान आता है.

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