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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को HC से राहत, प्रभात गुप्ता हत्याकांड में हुए बरी

केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी समेत चार आरोपियों को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में बरी कर दिया है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें टेनी को बरी किया गया था. अजय मिश्रा के साथ-साथ अदालत ने इस मामले में सह आरोपी सुभाष मामा, शशि भूषण पिंकी और राकेश डालू को भी बरी कर दिया है.

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में साल 2000 में प्रभात गुप्ता को गोली मार दी गई थी. इस हत्या का आरोप प्रभात के पिता ने अजय मिश्रा उर्फ टेनी पर लगाया था. हालांकि निचली अदालत ने साल 2004 में सबूतों की कमी के चलते टेनी को बरी कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट का रुख किया और अब हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए टेनी को बरी कर दिया है.

चश्मदीदों को नजरअंदाज करने का तर्क

23 साल पुराने इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला ने फैसला सुनाया और राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी. छात्र नेता प्रभात गुप्ता की टिकोनिया इलाके में उसी के घर के पास हत्या कर दी गई थी. इसका आरोपी टेनी को बनाया गया था. टेनी पर आरोप था कि पंचायत चुनावों को लेकर टेनी की प्रभात गुप्ता से अनबन हो गई थी और इसी के चलते तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर उन्होंने छात्र नेता प्रभात गुप्ता की हत्या कर दी.

इस मामले को लेकर जब सेशन कोर्ट ने टेनी को बरी कर दिया तो राज्य सरकार इस तर्क के साथ हाई कोर्ट पहुंची कि निचली अदालत ने चश्मदीदों के बयानों को नजरअंदाज करते हुए टेनी को बरी किया था. हालांकि हाई कोर्ट में टेनी की ओर से तर्क दिया गया कि निचली अदालत ने चश्मदीदों को भरोसेमंद नहीं पाया और सबूतों की कमी के चलते उन्हें बरी भी कर दिया गया. इस हाई प्रोफाइल मामले में पहले भी दो बार फैसला सुरक्षित रखा जा चुका था, लेकिन 23 साल बाद शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले में अंतिम फैसला सुनाते हुए टेनी को बरी कर दिया.

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