व्यापार

RBI ने कहा, महंगाई थामने के लिए सख्त कदम उठाएंगे; ग्रोथ रेट के मामले में अन्‍य देशों की तुलना में भारत की स्थिति मजबूत

नई दिल्‍ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार को बीते वित्‍तवर्ष 2021-22 की सालाना रिपोर्ट जारी की है. इसमें आरबीआई ने कहा है कि महंगाई सहित अन्‍य ग्‍लोबल चुनौतियों ने भारत को काफी परेशान किया है. बावजूद इसके हमारी तेजी सुधारों की गति और विकास दर को रोक नहीं सकेगी.

रिजर्व बैंक ने कहा, बीते वित्‍तवर्ष की शुरुआत में आई कोरोना महामारी की दूसरी लहर और 2021 के आखिर में आई तीसरी लहर के बावजूद हमारी विकास दर की रफ्तार सबसे तेजी बनी हुई है. आगे भी तमाम वैश्विक जोखिमों के बावजूद हमारे तेज सुधार की गति बरकरार रहेगी. इस समय दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था जहां दबाव में सुस्‍त दिख रही है, वहीं भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में उछाल आने की पूरी संभावना है.

थोड़ा असर जरूर पड़ा है
आरबीआई ने कहा है कि बीते वित्‍तवर्ष की पहली छमाही में मांग, खपत और आर्थिक गतिविधियों पर थोड़ा असर जरूर पड़ा था जिससे हमारे सुधारों की गति थोड़ी धीमी हो गई थी. लेकिन, दूसरी छमाही से आर्थिक गतिविधियां दोबारा पटरी पर आ गईं. हालांकि, इस दौरान महंगाई ने पूरे साल दबाव बनाए रखा और निजी खपत पर इसका असर दिखा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक और सरकार की पहली प्राथमिकता अर्थव्‍यवस्‍था महामारी और संभावित मंदी से निकालने की थी. यही कारण रहा कि केंद्रीय बैंक ने दो साल तक अपनी नीतियों को महंगाई से ज्‍यादा विकास दर पर केंद्रित रखा. मई, 2020 से दो साल तक रेपो रेट को 4 फीसदी पर बनाए रखा ताकि अर्थव्‍यवस्‍था को गिरावट से उबारा जा सके.

आगे वृद्धि के बेहतर मौके
रिपोर्ट बताती है कि अब आर्थिक गतिविधियां करीब-करीब कोरोना पूर्व स्थिति में पहुंच रही हैं, जिससे विकास दर के बजाए महंगाई को थामने की रणनीति बनाई जा सकती है. सरकारी पूंजीगत खर्च और निजी निवेश भी तेजी से बढ़ रहा है. साथ ही राष्‍ट्रीय इन्‍फ्रा प्‍लान और मोनेटाइजेशन पाइप लाइन योजना जैसे दो बड़े कदमों से आर्थिक गतिविधियों को और रफ्तार दी जा सकेगी.

बरकरार रहेगा महंगाई का जोखिम
रिजर्व बैंक ने कहा है कि अब हम महंगाई को थामने का पूरा प्रयास कर रहे, जिसके लिए रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ा दिया और सीआरआर में भी 0.50 फीसदी की वृद्धि कर दी है. बावजूद इसके ग्‍लोबल मार्केट में कच्‍चे माल की सप्‍लाई बाधित होने और परिवहन लागत बढ़ने की वजह से आगे भी बुनियादी महंगाई दर बढ़ने का जोखिम है. इसका सीधा मतलब है कि विकास दर को तो सुधारा जा सकता है, लेकिन महंगाई के दबाव को फिलहाल खत्‍म कर पाना मुश्किल है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights