खानपान, पार्किंग, विज्ञापन जैसी मदों में रेलवे की आय घटी, कबाड़ बेचकर अच्छी कमाई की- CAG
भारतीय रेलवे ने यात्री और माल भाड़े से रिकॉर्ड कमाई करने के बाद कबाड़ बेचकर 11,645 करोड़ रुपये की छप्परफाड़ कमाई की है. रेलवे बोर्ड की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार बीते वित्तीय वर्ष (2022-23) में रेलवे को यात्री किराये और माल भाड़े से तय लक्ष्य से ज्यादा कमाई हुई है. कमाई के आंकड़े जारी किये जाने के बाद यात्रियों की तरफ से कोरोना काल में बंद की गई सीनियर सिटीजन को मिलने वाली छूट को फिर से बहाल करने की मांग की गई.
चार साल में रेलवे की आय का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया
हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार रेलवे ने कबाड़ बेचकर टारगेट से ज्यादा कमाई की है. हालांकि 2017 से लेकर 2021 के बीच खानपान, विज्ञापन, पार्किंग आदि से रेलवे को लक्ष्य से कम आमदनी हुई है. लेकिन कबाड़ बेचकर रेलवे ने टार्गेट से ज्यादा रकम हासिल कर ली. रेलवे (Railway) पर कैग की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट में 2017 से लेकर 2021 तक चार साल के दौरान रेलवे की आय (Railway Income) का लेखा-जोखा प्रस्तुत पेश किया गया है.
जनवरी 2017 में शुरू हुई थी विज्ञापन नीति
कैग की तरफ से बताया गया कि रेलवे बोर्ड ने चल संपत्तियों के जरिये विज्ञापन नीति जनवरी 2017 में शुरू की थी. रिपोर्ट में कहा गया कि फरवरी 2018 में रेलवे बोर्ड ने राइट्स द्वारा करार देने में देरी के कारण क्षेत्रीय रेलवे को बोली का प्रबंधन सौंपने का फैसला किया था. साल 2018-19 से 2020-21 की अवधि के दौरान इस नीति के तहत क्षेत्रीय रेलवे द्वारा विभिन्न संविदाओं को अंतिम रूप दिया गया था. भारतीय रेलवे ने 14 क्षेत्रीय रेलवे में 93.25 करोड़ रुपये (28.28%) कमाए. जबकि अनुमानित आय 329.70 करोड़ रुपये तय की गई थी.
पार्किंग से 613 करोड़ रुपये की इनकम
साल 2017-18 के अलावा समीक्षा अवधि के दौरान भारतीय रेलवे की तरफ से स्टेशनों पर कार / स्कूटर पार्किंग से होने वाली आमदनी ने लक्ष्य हासिल नहीं किया. 956 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले आय 613 करोड़ रुपये थी. इससे राजस्व में 343 करोड़ रुपये की कमी आई. 2017 में रेलवे बोर्ड ने खानपान की नई नीति तैयार की. इसके अनुसार आईआरसीटीसी (IRCTC) को मोबाइल खानपान इकाइयों, बेस किचन, सेल किचन, ए 1 और ए श्रेणी के स्टेशन पर जलपान कक्ष, फूड प्लाजा से खानपान सेवाओं के लिए उत्तरदायी बनाया गया था.
साल 2017 से 21 के दौरान खानपान में 72.34 करोड़ रुपये के लक्ष्य की तुलना में 58.54 करोड़ रुपये का लाइसेंस शुल्क वसूला गया. रिपोर्ट के अनुसार रेलवे के वित्त पोषण के लिए स्क्रैप को उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में पहचाना गया. कैग की लेखा परीक्षा में पाया गया कि रेलवे ने 2017 से 21 के दौरान स्क्रैप की बिक्री से 11,418 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 11,645 करोड़ रुपये की कमाई की. यानी स्क्रैप से रेलवे को लक्ष्य से ज्यादा कमाई हुई. साल 2017 से 21 तक विश्राम कक्षों से 48.17 करोड़ रुपये की आमदनी हुई.