राहुल गांधी मणिपुर के दौरे के लिए हुए रवाना, विस्थापित लोगों से भी करेंगे मुलाकात
नई दिल्लीः मणिपुर पिछले 2 महीने से हिंसा में चपेट में झुलस रहा है और वहां पर शांति प्रयासों की कई कोशिशें ज्यादा कारगर साबित नहीं हो सकी हैं. कांग्रेस नेता और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आज गुरुवार सुबह मणिपुर के अपने दो दिवसीय दौरे पर नई दिल्ली से रवाना हो गए. अपने इस दौरे के दौरान कांग्रेस नेता पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा की वजह से विस्थापित हुए लोगों से राहत शिविरों में मुलाकात करने जाएंगे. साथ ही वहां पर कई सिविल सोसाइटी के लोगों से भी बातचीत करेंगे. कांग्रेस का दावा है कि मणिपुर में जारी हिंसा में 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
मणिपुर में यह जातीय हिंसा 3 मई को शुरू हुई थी. यहां पर हिंसा शुरू होने के बाद से राहुल गांधी का हिंसाग्रस्त राज्य का यह पहला दौरा है. राहुल गांधी और कल मणिपुर में रहेंगे, इस दौरान वह कई राहत शिविरों का दौरा करेंगे. साथ में राजधानी इंफाल और चुराचांदपुर जिले में सिविल सोसाइटीज के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे.
कल इंफाल के कैंप में जाएंगे राहुल गांधी
राहुल गांधी की यात्रा से पहले कांग्रेस के एक नेता ने उनकी यात्रा के बारे में बताया, “इंफाल पहुंचने के बाद वह चुराचांदपुर जाएंगे, जहां वह राहत शिविरों का दौरा करेंगे. फिर वह विष्णुपुर जिले के मोइरांग में विस्थापित हुए लोगों से उनका हालाचाल जानेंगे. राहुल कल शुक्रवार को इंफाल में रहेंगे और इस दौरान वह राहत शिविरों का दौरा करेंगे, फिर लोगों से बातचीत भी करेंगे.
दूसरी ओर, नागालैंड के कांग्रेस प्रभारी अजय कुमार ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि केंद्र मणिपुर को खबरों से गायब कराने की कोशिश में लगी हुई है. जबकि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी देश का ध्यान मणिपुर पर केंद्रित कराने की कोशिश कर रही है. उन्होंने दावा किया कि मणिपुर में जारी हिंसा में अब 200 से अधिक लोगों की हत्या हो चुकी है. जबकि एक हजार से अधिक घर जला दिए गए. जातीय हिंसा में 700 से अधिक पूजा घर और गिरजाघर तोड़ जा चुके हैं.
अजय कुमार ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है. डबल इंजन की यह सरकार अब ट्रिपल समस्या वाली सरकार बन चुकी है. राहुल गांधी आज मणिपुर में पीड़ित लोगों से मिलेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राहुल गांधी के दौरे से सीख लेनी चाहिए, उनको राज्य को लेकर कोई चिंता नहीं है.
मणिपुर में इस साल मई के शुरुआती हफ्ते में जातीय संघर्ष के शुरू होने के बाद से 300 से अधिक कैंपों में करीब 50 हजार लोग रहने को मजबूर हैं. इस पूर्वोत्तर राज्य में मेइती और कुकी समुदाय के बीच भड़की हिंसा में 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. मणिपुर की 53 फीसदी आबादी मेइती समुदाय से आती है जो इंफाल घाटी में ही रहती है. जबकि नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी यहां पर 40 फीसदी है. ये समुदाय खासतौर पर पर्वतीय जिलों में रहती है.