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2030 तक 140 मिलियन टन तक पहुंच सकता है देश में कच्चे कोकिंग कोयले का उत्पादन

सरकार ने शनिवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है आने वाले समय में कोकिंग कोल (Coking Coal) के उत्पादन में तेजी देखने के लिए मिल सकती है. PIB ने प्रेस रिलीज में जानकारी देते हुए बताया कि 2030 तक मौजूदा 5.17 करोड़ टन से बढ़कर 14 करोड़ टन तक पहुंच सकता है. कोकिंग कोल लोहा और स्टील के उत्पादन के लिए एक जरूरी कच्चा माल है. कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत कोयला मंत्रालय द्वारा किए गए परिवर्तनकारी उपायों के साथ घरेलू कच्चे कोकिंग कोल का उत्पादन वर्ष 2030 तक 14 करोड़ टन तक पहुंचने की संभावना है.’

10 कोकिंग कोल ब्लॉक की नीलामी 

कच्चे कोकिंग कोल के प्रोडक्शन में तेजी के लिए केंद्र सरकार ने पिछले 2 सालों के दौरान करीब 22.5 मिलियन टन की पीक रेटेड क्षमता (PRC) के साथ निजी क्षेत्र को 10 कोकिंग कोल ब्लॉक की नीलामी की है. इनमें से ज्यादातर ब्लोकों में प्रोडक्शन 2025 तक शरू होने की संभावना है. बयान में कहा गया कि मंत्रालय ने 4 कोकिंग कोल ब्लॉक की भी पहचान की है. सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टिट्यूट अगले 2 महीनों में 4 से 6 नए कोकिंग ब्लॉक के लिए भू-वैज्ञानिक भंडार (GR) को भी अंतिम रूप देगा.

4 कोकिंग कोल ब्लॉक की पहचान 

जानकारी के मुताबिक, मंत्रालय ने 4 नए कोकिंग कोल ब्लॉक की पहचान भी की है. सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टिट्यूट आगामी 2 महीनों में 4 से 6 नए कोकिंग कोल ब्लॉक के लिए भू-वैज्ञानिक भंडार को अंतिम रूप देगा.

प्राइवेट सेक्टर को बेचा जा सकता है ब्लॉक 

देश में घरेलू कच्चे कोकिंग कोयले के उत्पादन को बढ़ाने के लिए इन ब्लॉकों को प्राइवेट सेक्टर को बेचा जा सकता है.  कोल इंडिया लिमिटेड जो कि घरेलू कोयले के उत्पादन में 80% की हिस्सेदारी रखती है, ने मौजूदा खदानों से कच्चे कोकिंग कोल उत्पादन को 2.6 करोड़ टन तक बढ़ाने की योजना बनाई है. फाइनेंशियल इयर 2024-25 तक लगभग 2 करोड़ टन की अधिकतम क्षमता वाली 9 नई खदानों की पहचान की गई है.

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